
हनुमान व्रत और बजरंग बाण का पाठ दोनों ही भक्तों द्वारा भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। नीचे दोनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:
🌺 हनुमान व्रत विधि (Hanuman Vrat Vidhi)
हनुमान व्रत विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को किया जाता है, लेकिन भक्त इसे किसी भी दिन आरंभ कर सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से शत्रु बाधा, भय, मानसिक अशांति और शक्ति की प्राप्ति हेतु किया जाता है।
🔶 व्रत करने की विधि:
- संकल्प लें: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने संकल्प लें।
- पूजन सामग्री: रोली, चावल, फूल, दीपक, अगरबत्ती, सिंदूर, चमेली का तेल, तुलसी के पत्ते, गुड़/चना।
- पूजन करें:
- “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप करें।
- हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करें।
- व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- भोग अर्पित करें: गुड़ व चना, तुलसी पत्र या लड्डू का भोग लगाएं।
- आरती करें: “आरती कीजै हनुमान लला की…” आरती करें।
- प्रसाद वितरण करें।
🔷 व्रत कथा संक्षेप में:
एक समय की बात है, एक राजा पर भूत-प्रेत बाधा थी। किसी संत ने हनुमान व्रत का विधान बताया। राजा ने श्रद्धा से 11 मंगलवार व्रत रखे और हनुमान चालीसा का पाठ किया। अंत में उसे सब बाधाओं से मुक्ति मिल गई।
📜 बजरंग बाण पाठ (Bajrang Baan)
बजरंग बाण भगवान हनुमान का अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसे विशेष रूप से शत्रु नाश, भय, रोग, मानसिक तनाव या बुरी शक्तियों से रक्षा हेतु पढ़ा जाता है।
✨ बजरंग बाण पाठ:
ॐ श्री हनुमते नमः
श्री हनुमान बजरंग बाण
बजरंग बाण धरो, मन में शांति लाओ।
|| दोहा ||
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करे संतान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जैके सिया को सुधारा। पछे बयर संजिवन लायो॥
रावण मारि लंका जराई। श्री रघुबीर को राज दिलाई॥
लाज राखि असुरन संहारे। नाम लेत बिपत्ति टारे॥
आपु संकट मोचन सुखदाई। जो सुमिरै हनुमत बलदाई॥
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि। हरहु कलेस विकार॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो यह पढ़ै बजरंग बाण। ताके होय सकल कल्याण॥
|| इति श्री बजरंग बाण सम्पूर्णं ||
✅ महत्वपूर्ण सुझाव:
- बजरंग बाण पाठ करते समय हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- इस पाठ को पूरे मन, श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
- हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, अतः पाठ के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- मांस-मदिरा से परहेज रखें।
📜 हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) – तुलसीदास रचित
दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार॥
🌺 चौपाई:
- जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ - रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ - महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥ - कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ - हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥ - शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥ - विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥ - प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥ - सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ - भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे