“स्कंद षष्ठी कब है? : तिथि और महत्व”
तिथि (2025):
स्कंद/सुब्रह्मण्य षष्ठी 2025 में 26 नवंबर 2025 को पड़ती है — यह मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी है।
संक्षिप्त परिचय और पौराणिक महत्व:
स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय (स्कंद/सुब्रह्मण्य) को समर्पित मुख्य व्रत-तिथियों में से एक है। कार्तिकेय को विजय, युद्धकौशल, साहस और आध्यात्मिक शक्ति का देवता माना जाता है। इस दिन व्रत, पूजा और विशेष पूजा-कथाएँ (व्रत कथा) कर के भक्त उनकी कृपा व संरक्षण की कामना करते हैं। परंपरा के अनुसार यह व्रत कठिनाई और बाधाओं से मुक्ति, संतान प्राप्ति, और जीवन में सफलता हेतु अत्यंत फलदायी माना जाता है।
महत्व के प्रमुख बिंदु:
- यह तिथि शुक्ल पक्ष की षष्ठी होने के कारण मासिक रूप से आती है; परन्तु विशेष आध्यात्मिक महत्ता वाले दिन को विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है।
- भगवान कार्तिकेय को युवा वीर देव माना जाता है — उनकी आराधना से साहस, पराक्रम और मन का निश्चय बढ़ता है।
- दक्षिण भारत में विशेष रूप से यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है (कुछ स्थानों पर छह-दिनीय अनुष्ठान भी होते हैं)।
आम पूजा-विधि (संक्षेप में):
- सुन्दर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा-स्थल पर कार्तिकेय/सुब्रह्मण्य की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें; दीप, फूल, चंदन, अक्षत और पंचामृत रखें।
- ‘शरवनभवाय नमः’, ‘ॐ तत्पुरुषाय …’ इत्यादि मंत्रों का जाप करें और कथा/आरती पढ़ें।
- भोग (खीर, फल, मीठा) अर्पित करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।
ध्यान: सटीक शुभ मुहूर्त (अमृतकाल/अभिजीत आदि) और पारणा-समय स्थानीय पंचांग और स्थान-विशेष समय के अनुसार अलग हो सकते हैं; इसलिए अगर आप मंदिर-स्तर पर या निर्धारित समय चाहते हैं तो अपने शहर-वाले पंचांग/पंडित से विशेष मुहूर्त देख लें।
स्कंद षष्ठी — साहस और विजय के देवता कार्तिकेय को समर्पित यह पर्व 26 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत व पूजा से जीवन की बाधाएँ दूर करने और आत्मिक बल प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है.”
“स्कंद षष्ठी कब है? : तिथि और महत्व”
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