
संतोषी माता की पूजा विधि
संतोषी माता की पूजा एक सरल और प्रभावशाली धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्तों द्वारा शांति, समृद्धि और संतोष के लिए की जाती है। संतोषी माता को संतोष, धैर्य और सुख-शांति की देवी माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से शुक्रवार के दिन की जाती है। यहाँ पूजा की विधि और महत्व को विस्तार से बताया गया है:
संतोषी माता की पूजा विधि
- स्नान और स्वच्छता:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहाँ माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- सामग्री की तैयारी:
- गुड़ और चने (गुड़-चना) प्रसाद के लिए तैयार करें।
- दीया, अगरबत्ती, फूल, नारियल, लाल कपड़ा और पानी का पात्र रखें।
- पूजा की प्रक्रिया:
- माता को लाल कपड़ा अर्पित करें और उनका श्रृंगार करें।
- दीया जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
- माता के सामने गुड़-चना अर्पित करें।
- श्री संतोषी माता व्रत कथा सुनें या पढ़ें। कथा के दौरान माता से अपने घर में सुख-शांति की प्रार्थना करें।
- व्रत पालन:
- पूरे दिन उपवास रखें। व्रत के दौरान खट्टे पदार्थों का सेवन न करें।
- शाम को भोजन में गुड़ और चने का उपयोग करें।
- आरती:
- पूजा के अंत में संतोषी माता की आरती करें। आरती के लिए दीपक या कपूर जलाएं और “जय संतोषी माता” का जाप करें।
संतोषी माता व्रत कथा का महत्व
- कथा सुनने से जीवन में संतोष, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- माना जाता है कि जो व्यक्ति 16 शुक्रवार तक माता का व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
व्रत के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:
- व्रत के दिन खट्टे खाद्य पदार्थ (जैसे दही, इमली, नींबू आदि) का सेवन न करें।
- क्रोध और द्वेष से बचें। अपने व्यवहार में संतोष और शांति बनाए रखें।
आरती के बोल:
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
हर विषम मुश्किल को, दूर किया माता।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
इस पूजा को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से संतोषी माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।