
संतोषी माता की पूजा का सही मुहूर्त
🌞 संभावित शुभ मुहूर्त आमतौर पर
- सुबह का समय (ब्रह्म मुहूर्त के बाद हल्की रोशनी में): सूर्योदय से ठीक पहले या सूर्योदय के समय पूजा करना उत्तम माना जाता है।
- दोपहर का समय: जब ग्रह-गण स्थितियाँ शुभ हों, दोपहर में भी मध्यान्ह मुहूर्त मिल सकता है।
- शाम का समय: सूर्यास्त से पहले जैसे-जैसे शाम ढले, वह समय भी अच्छा माना जाता है जहाँ कोई अशुभ काल या राहु-काल न हो।
🌸 संतोषी माता पूजा विधि
- व्रत का संकल्प लें
- शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें और संतोषी माता का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें।
- व्रत और नियम
- शुक्रवार को उपवास रखें।
- इस व्रत में खट्टे फल या खट्टा भोजन नहीं किया जाता।
- केवल मीठा या सात्त्विक भोजन करें।
- पूजा की तैयारी
- एक साफ स्थान पर लाल वस्त्र बिछाकर माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- कलश रखें, नारियल चढ़ाएँ और दीपक जलाएँ।
- गुड़ और चने का प्रसाद बनाएँ।
- पूजन क्रम
- माता को फूल, धूप, दीप अर्पित करें।
- संतोषी माता की कथा का पाठ करें।
- कथा के बाद आरती करें।
- प्रसाद और भोग
- माता को गुड़-चना का भोग लगाएँ।
- पूजा के बाद यह प्रसाद घर के सभी लोगों को बाँटें।
- कोशिश करें कि पूजा में भाग लेने वाले भी खट्टा न खाएँ।
- व्रत का समापन
- यह व्रत लगातार 16 शुक्रवार किया जाता है।
- 16वें शुक्रवार को अष्टमी तिथि पर या किसी शुभ मुहूर्त में व्रत का उद्यापन करें।
- उद्यापन में 8 बच्चों को भोजन कराएँ और उन्हें गुड़-चना का प्रसाद दें।
🌸 संतोषी माता पूजा के लाभ
- संतोष और मानसिक शांति
- माता की कृपा से मन में शांति, संतोष और मानसिक स्थिरता आती है।
- चिंता और तनाव कम होता है।
- परिवार में सुख-समृद्धि
- घर में सुख, शांति और सामंजस्य बढ़ता है।
- पति-पत्नी, बच्चों और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध मजबूत होते हैं।
- विवाद और कष्टों से मुक्ति
- घर में झगड़े और कलह कम होते हैं।
- आर्थिक एवं सामाजिक परेशानियों में राहत मिलती है।
- आर्थिक लाभ
- माता की कृपा से आय और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
- व्रत करने से पैसों की अड़चनें कम होती हैं।
- मनोकामना पूर्ति
- जो मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए व्रत किया जाता है, वे पूरी होती हैं।
- विशेष रूप से परिवार की खुशहाली, बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार
- घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- नकारात्मक भावनाएँ और अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
🌸 संतोषी माता पूजा का महत्व
- संतोष की भावना का महत्व
- संतोषी माता का नाम ही “संतोषी” है, यानी जो संतोष प्रदान करती हैं।
- उनका व्रत करने से व्यक्ति संतोषी और धैर्यवान बनता है।
- यह व्यक्ति को छोटी‑छोटी बातों में खुश रहना सिखाता है।
- धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- पूजा करने से भक्त को माता की विशेष कृपा मिलती है।
- इसे करने से मनोवांछित फल, स्वास्थ्य और परिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
- कथा और व्रत से व्यक्ति का धार्मिक जीवन मजबूत होता है।
- कष्टों और परेशानियों से मुक्ति
- संतोषी माता की कृपा से परिवार में विवाद, कष्ट और आर्थिक बाधाएँ कम होती हैं।
- व्यक्ति का मन सकारात्मक और स्थिर बनता है।
- मनोकामना पूर्ति और लक्ष्यों की प्राप्ति
- जो व्यक्ति किसी विशेष इच्छा, लक्ष्य या कठिन परिस्थिति के समाधान के लिए व्रत करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।
- माता भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का संचार
- घर और परिवार में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा और सुख‑शांति का वातावरण बनता है।
- नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
🌸 संतोषी माता पूजा से मिलने वाली शिक्षा
- संतोष का महत्व
- माता का नाम ही “संतोषी” है।
- व्रत और पूजा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि संतोष ही सबसे बड़ा धन है।
- संतोषी व्यक्ति हमेशा खुश रहता है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
- धैर्य और संयम
- व्रत में नियमों का पालन करना और खट्टा न खाना सिखाता है स्वयं पर नियंत्रण और संयम।
- कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखना जीवन में सफलता की कुंजी है।
- श्रद्धा और विश्वास
- माता में अटूट विश्वास रखने से मनोबल बढ़ता है।
- विश्वास से व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत बनता है और मुश्किल समय में भी आशावादी रहता है।
- कृतज्ञता और दया भाव
- व्रत और प्रसाद बाँटने की प्रक्रिया सिखाती है कृतज्ञता और दूसरों के प्रति दया।
- दूसरों की सहायता करना और प्रसन्नता बाँटना जीवन का महत्वपूर्ण पाठ है।
- सकारात्मकता और शांति
- पूजा से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक शांति आती है।
- यह सिखाता है कि नकारात्मकता से दूर रहना और अच्छा सोच रखना जीवन में सुख लाता है।
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