
🕉️ श्रीरामानुजाचार्य जयंती 2025 – विस्तृत जानकारी
तिथि: शुक्रवार, 2 मई 2025
यह अवसर: श्रीरामानुजाचार्य की 1008वीं जन्म जयंती
यह पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और आर्द्रा नक्षत्र के योग में मनाया जाता है। तमिल पंचांग के अनुसार यह चिथिरै माह में आता है।
🌿 जीवन परिचय – श्रीरामानुजाचार्य
- जन्म: 1017 ईस्वी में तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर में।
- मूल नाम: लक्ष्मण
- उपनाम: इलैया पेरुमल (छोटे भगवान)
- आयु: लगभग 120 वर्ष
श्रीरामानुजाचार्य श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। उन्होंने भारतीय दर्शन में एक नया अध्याय जोड़ा — विशिष्टाद्वैत वेदांत।
📖 प्रमुख रचनाएँ
- श्रीभाष्य (ब्रह्मसूत्र पर टीका)
- गीता भाष्य
- वेदांत सार
- वेदार्थ संग्रह
- वैकुंठ गद्य
🌟 सिद्धांत एवं योगदान
- विशिष्टाद्वैत वेदांत:
ब्रह्म, जीव और जगत — ये तीनों सच्चे हैं। ब्रह्म (भगवान विष्णु) ही परम सत्य है, लेकिन जीव और जगत भी उसकी ही अभिव्यक्ति हैं। - भक्ति को मोक्ष का मार्ग बताया:
उन्होंने ज्ञान और कर्म से बढ़कर भक्ति को मुख्य मार्ग माना। - समानता का प्रचार:
जाति-पांति के भेदभाव को नकारते हुए सभी को ईश्वर-भक्ति का अधिकार दिया। - श्री सम्प्रदाय की स्थापना:
जिसमें माता लक्ष्मी को सह-अभिन्न माना गया।
🛕 धार्मिक महत्व और आयोजन
श्रीरामानुजाचार्य जयंती पर देशभर के विशेषकर दक्षिण भारत के मंदिरों में विशेष पूजन, भजन-कीर्तन, प्रवचन, और रथ यात्रा जैसे कार्यक्रम होते हैं।
विशेष आयोजन स्थल:
- श्रीरंगम (तमिलनाडु)
- तिरुपति (आंध्र प्रदेश)
- कांचीपुरम
- मेलकोट (कर्नाटक)
2025 में विशेष:
1008वीं जयंती होने के कारण प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में भव्य आयोजन किया गया, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और सहस्त्र कलशों से श्रीरामानुज की प्रतिमा का जलाभिषेक किया गया।
🗓️ पंचांग विवरण – 2025
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 1 मई को रात्रि
- पंचमी तिथि समाप्त: 2 मई को रात्रि
- आर्द्रा नक्षत्र: 1 मई रात 1:51 बजे से 2 मई रात 12:34 बजे तक
https://www.youtube.com/@bhaktikibhavnaofficial/videos