विवाह पंचमी 2025: 24 या 25 नवंबर कब है शुभ? जानें सही तिथि व मुहूर्त
विवाह पंचमी 2025 — सही तिथि और मुहूर्त
- तिथि
- हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास (अगहन) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 24 नवंबर 2025 की रात रात 9:22 बजे से शुरू होती है और 25 नवंबर 2025 की रात 10:56 बजे समाप्त होती है।
- “उदयातिथि” का नियम माना गया है, जिसके अनुसार तिथि का दिन (उदयातिथि) वो दिन होता है जिसमें तिथि पूरी रूप से नहीं होती, लेकिन शुरू होती है — इसलिए विवाह पंचमी 25 नवंबर 2025 को मनाई जाती है।
- कई पंचांग स्रोतों में यही समय दिया गया है।
- शुभ मुहूर्त और योग
- ” के अनुसार, उस दिन कुछ खास मुहूर्त बने हुए हैं: ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:04 बजे से 06:58 बजे तक, और विजय मुहूर्त दोपहर 01:53 बजे से 02:36 बजे तक है।
- “” के अनुसार, पंचमी तिथि की अवधि (24 नवंबर रात से 25 नवंबर रात) पूजा-अर्चना के लिए पवित्र मानी जाती है।
- “ABP Live” बताता है कि इस दिन कुछ रक्षा / दांपत्य-सम्बंधित उपाय अच्छे फल देते हैं।
- क्यों इस दिन शादी न करने की बात कही जाती है?
- हालांकि यह दिन राम और सीता के विवाह का प्रतीक है, लेकिन बहुत से धार्मिक मान्यताओं और पंडितों के अनुसार इस दिन साधारण मानव विवाह (शादी) नहीं किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि इस तिथि का आयोजन “आदर्श दांपत्य जीवन” की स्मृति के लिए है, न कि नए विवाह के लिए।
विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व
- यह त्योहार भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का स्मरण है — उनकी पवित्रता, प्रेम, धर्म और आदर्श दांपत्य का प्रतीक।
- इस दिन पूजा-अनुष्ठान करने से दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और विवाहित जोड़ों के बीच सामंजस्य लाने की मान्यता है।
- यदि विवाह में कोई बाधा हो रही हो (जैसे कि शादी न हो रही हो), तो इस दिन राम–सीता की पूजा और विशेष उपाय (ज्योतिषीय / धार्मिक) करने का सुझाव कुछ स्रोत देते हैं।
पूजा विधि कैसे पूजा करें
यहां एक सामान्य पूजा विधि दी गई है जिसे विवाह पंचमी 2025 के दिन आप कर सकते हैं:
- प्रारंभ और स्वच्छता
- दिन की शुरुआत स्नान (पवित्र नहाना) करके करें।
- सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें, या लाल / पीले रंग की पोशाक भी शुभ मानी जाती है (राम–सीता की पूजा में अक्सर लाल या पीले कपड़े उपयोग किए जाते हैं)।
- प्रतिमा/फोटो स्थापना
- भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
- उनके सामने दीपक (मिट्टी या गीता) जलाएं।
- पूजा-अर्पण
- राम और सीता को पुष्प अर्पित करें (लाल फूल विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं)
- मीठा प्रसाद (जैसे लड्डू, फल) दें।
- अगर संभव हो, रामचरितमानस से राम-सीता विवाह का प्रसंग पढ़ें या उसका वाचन / पाठ करें।
- विवाह कथा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
- संकल्प और गांठ
- पूजा के समय राम और सीता की मूर्तियों या चित्रों के बीच एक यलो (पीली) या सिन्दूर / ऊँ मौली (धागा) बांधें — यह उनकी पवित्र युति (गण्थन) का प्रतीक बनता है।
- एक संकल्प लें कि आप दांपत्य जीवन में प्रेम, धर्म और आदर्श का पालन करेंगे।
- आरती और भजन
- आरती करें (राम जी की आरती)।
- भजन या स्तुति गा सकते हैं, जैसे राम नाम का जाप, “श्री राम जय राम …”, या सीता चालीसा आदि।
- व्रत / उपवास (यदि व्रत रखते हों)
- कुछ भक्त इस दिन व्रत रखते हैं। पूजा करने के साथ-साथ व्रत कथा (विवाह कथा) सुनी जाती है या रामायण से 婚-संबंधित भाग पढ़े जाते हैं।
- व्रत तोड़ने के बाद, पूजा का प्रसाद बाँटना चाहिए।
- उपाय / भेंट
- अगर विवाह संबंधी समस्या हो, तो राम-सीता की मूर्तियाँ या तस्वीर घर में रखें और नियमित पूजा करें।
- दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है — जैसे गरीबों को भोजन कराना, कपड़े दान करना।
सावधानियाँ
- चूंकि “उदयातिथि” का नियम लागू है और पंचमी तिथि रात में शुरू होकर अगले दिन समाप्त होती है, इसलिए पूजा का समय चुनते समय यह ध्यान देना चाहिए कि आप पंचमी तिथि में हों।
- विभिन्न धार्मिक परंपराएँ और पंडित अलग-अलग राय दे सकते हैं — इसलिए अपने क्षेत्रीय पंडित, पुजारी या ज्योतिषी से सलाह लेना बुद्धिमानी है।
- यदि व्रत रखा जा रहा है, तो स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान रखें — लंबे समय का व्रत सभी के लिए ठीक न हो
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