
वरद तिल चतुर्थी पूजा विधि
वरद तिल चतुर्थी, जिसे तिलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता है, माघ महीने में आती है और इस वर्ष 1 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जिससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख, समृद्धि, धन, विद्या, बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- मूर्ति स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- सामग्री संग्रह: रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप, तिल, गुड़, तिल-गुड़ के लड्डू, कुंद के फूल आदि एकत्र करें।
- पूजन: गणेश जी को रोली, अक्षत, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। तिल-गुड़ के लड्डू और कुंद के फूलों से विशेष पूजा करें।
- दूर्वा अर्पण: गणेश जी को दूर्वा (दूब) अर्पित करते समय “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का उच्चारण करें।
- आरती: कपूर और घी के दीपक से गणेश जी की आरती करें।
- प्रसाद वितरण: भगवान को भोग लगाकर प्रसाद सभी में बांटें।
- व्रत पालन: व्रतधारी दिन भर निराहार रहें और संध्या समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। वरद तिल चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन तिल का दान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। तिल-गुड़ के लड्डू बनाकर भगवान को भोग लगाएं और तिल का दान करें।
ध्यान दें, चतुर्थी तिथि के दौरान चंद्रमा के दर्शन से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। यदि गलती से चंद्र दर्शन हो जाए, तो “सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥” मंत्र का जाप करें। वरद तिल चतुर्थी पूजा विधि
वरद तिल चतुर्थी के व्रत और पूजा से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।