मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और पूजा गाइड
मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व
मोक्षदा एकादशी, जिसे मोक्षदा एकादशी या मोक्षदा व्रत कहा जाता है, कार्तिक माह (आमतौर पर अक्टूबर–नवंबर) में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से पितृ तर्पण और आत्मिक शांति के लिए माना जाता है।
विश्वास:
- यह व्रत मनुष्य के जीवन के कठिन पापों को दूर करता है।
- इसे करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन माता-पिता, गुरु और भगवान का सम्मान करना शुभ होता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
कथा सारांश:
बहुत समय पहले राजा प्रद्योत नाम का एक राजा था। वह अत्यंत धर्मपरायण था, परंतु उसके राज्य में अत्याचार और दुःख का वातावरण था। एक दिन उसे ज्ञात हुआ कि केवल एकादशी व्रत का पालन करके ही उसका राज्य सुख-शांति से भर जाएगा।
राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो गया। उसके राज्य में धीरे-धीरे सभी पाप और कष्ट समाप्त हुए और राज्य में अमन-चैन लौट आया।
पौराणिक दृष्टि से:
- भगवान विष्णु ने कहा कि जो कोई भी मोक्षदा एकादशी का व्रत श्रद्धा और उपवास के साथ करता है, उसे पितृ दोष और जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- इस व्रत का फल केवल धरती पर नहीं, बल्कि मोक्ष के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
पूजा से पहले तैयारी:
- साफ-सुथरा स्थान: पूजा स्थान को साफ करें।
- स्नान और शुद्ध वस्त्र: व्रती को एकादशी के दिन स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए।
- पूजा सामग्री:
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
- लाल या पीला वस्त्र
- दीपक और अगरबत्ती
- नैवेद्य (फल, मिठाई, खीर)
- तुलसी, फूल और अक्षत (चावल)
पूजा विधि:
- प्रातःकाल स्नान के बाद:
- व्रती ब्राह्मण या स्वयं ही पूजा स्थल पर बैठें।
- ध्यान और मंत्र उच्चारण:
- “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें।
- भगवान विष्णु की पूजा:
- मूर्ति/चित्र पर पुष्प अर्पित करें।
- दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- नैवेद्य (फल, खीर, मिठाई) अर्पित करें।
- कथा श्रवण:
- मोक्षदा एकादशी कथा सुनें या पढ़ें।
- व्रत का संकल्प:
- व्रती व्रत रखने और सत्य, अहिंसा, और धर्म का पालन करने का संकल्प लें।
उपवास और भोग:
- इस दिन व्रती फलाहार या निर्जल व्रत रख सकते हैं।
- दिनभर ध्यान, पूजा और भजन-कीर्तन करना शुभ है।
- एकादशी के अगले दिन (द्वादशी) ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य नमस्कार और हल्का भोजन करें।
विशेष उपाय और लाभ:
- व्रत करने से पितृ दोष और ऋण का नाश होता है।
- घर में सुख-शांति और धन वृद्धि होती है।
- मोक्ष प्राप्ति की दिशा में यह अत्यंत शुभ माना गया है।
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