
- व्रत की तैयारी:
- व्रत गुरुवार की रात से ही शुरू हो जाता है। रात में हल्का और सात्विक भोजन करें।
- शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- माँ संतोषी की पूजा सामग्री:
- माँ संतोषी की तस्वीर या मूर्ति।
- लाल वस्त्र।
- गुड़ और चने (पूजा और प्रसाद के लिए)।
- एक दीपक, कपूर, धूप, चंदन, रोली, अक्षत (चावल)।
- कलश और जल।
- पूजा की विधि:
- पूजा स्थान को स्वच्छ करके माँ संतोषी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- कलश में जल भरकर उसे माँ के सामने रखें।
- माँ संतोषी को लाल वस्त्र अर्पित करें।
- दीप जलाकर धूप दिखाएं।
- गुड़ और चने का प्रसाद बनाएं और माँ को अर्पित करें।
- माँ संतोषी की कथा पढ़ें या सुनें।
- माँ संतोषी की कथा:
- व्रत के दौरान माँ संतोषी की व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। यह कथा व्रत की महत्ता को समझाती है और भक्त को माँ की कृपा प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।
- व्रत के नियम:
- दिनभर अन्न ग्रहण न करें। केवल फलाहार कर सकते हैं।
- खट्टे पदार्थ जैसे नींबू, दही, या इमली का सेवन न करें।
- मन में शुद्धता और भक्ति बनाए रखें।
- अंतिम पूजा और अर्घ्य:
- शाम को एक बार फिर दीपक जलाकर माँ संतोषी की आरती करें।
- व्रत खोलने के लिए गुड़-चने का प्रसाद खाएं और परिवार के अन्य सदस्यों को भी दें।
व्रत के समाप्ति का विधान:
- यह व्रत 16 शुक्रवार तक करने का नियम है।
- व्रत के समापन पर घर में संतोषी माता का भंडारा (पूजा का आयोजन) करें और गरीबों या जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
माँ संतोषी व्रत का महत्व:
माँ संतोषी को संतोष और सुख की देवी माना जाता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विश्वास से करने पर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
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