
माँ काली के हवन विधि और आहुतियों के मंत्र
माँ काली साधना — हवन विधि (पूर्णाहुति हेतु)
१. हवन सामग्री
- हवन कुंड (तांबे या मिट्टी का)
- आम की लकड़ी के टुकड़े
- सूखा गोबर या कपूर अग्नि प्रज्वलन हेतु
- घी (गाय का घी श्रेष्ठ)
- गुड़
- काले तिल
- गुड़हल के फूल की पंखुड़ियाँ
- कर्पूर
- हवन समिधा मिश्रण (अष्टगंध, इलायची, लौंग, सूखी नारियल कतरन, जायफल, जटामांसी)
- पवित्र जल + गंगाजल
२. आसन और दिशा
- पूर्व या उत्तरमुख बैठें।
- लाल या काले वस्त्र धारण करें।
- साधना का वही आसन प्रयोग करें, जो पूरे ७ दिनों में किया गया था।
३. प्रारंभिक क्रिया
- संकल्प —
दाहिने हाथ में जल लेकर: ॐ काली मातः, मैं (नाम) ७ दिवसीय कवच-मंत्र साधना की पूर्णाहुति हेतु यह हवन कर रहा/रही हूँ। - आवाहन मंत्र (३ बार) ॐ ऐं ह्रीं क्रीं चामुण्डायै विच्चे॥
- दीप प्रज्वलन —
हवन कुंड के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करें।
४. हवन मंत्र और आहुतियाँ
मुख्य हवन मंत्र क्रम:
- बीज मंत्र आहुति (११ बार) ॐ क्रीं कालीकायै नमः स्वाहा॥
(आहुति — घी + काले तिल + गुड़) - महा मंत्र आहुति (११ बार) ॐ ऐं ह्रीं क्रीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा॥
(आहुति — घी + गुड़हल पंखुड़ी) - कवच मन्त्र आहुति (कवच के प्रत्येक श्लोक पर १ आहुति)
- कवच का पाठ करते हुए हर चौपाई/श्लोक के अंत में “स्वाहा” लगाकर आहुति दें।
- विशेष सिद्धि मंत्र आहुति (११ बार) ॐ ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं विजयवर्धिन्यै नमः स्वाहा॥
५. पूर्णाहुति
- अंत में यह मंत्र ३ बार बोलकर बड़ी आहुति दें: ॐ क्रीं काली महाकालि कपालिनि स्वाहा॥
- इसके साथ गुड़, तिल, घी, और ११ गुड़हल फूल एक साथ डाल दें।
६. समापन
- माता को प्रणाम करें।
- शांति पाठ करें: ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ - भोग और प्रसाद वितरित करें।
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माँ काली के हवन विधि और आहुतियों के मंत्र
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