माँ अन्नपूर्णा व्रत 2025: जानिए तिथि, पूजा विधि और महत्व
व्रत की तिथि
माँ अन्नपूर्णा व्रत हर वर्ष मार्च-अप्रैल के महीने में चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
साल 2025 में यह व्रत 12 अप्रैल (शनिवार) को पड़ने की संभावना है। इस दिन भक्त देवी अन्नपूर्णा की आराधना करते हैं और घर में अन्न की समृद्धि की कामना करते हैं।
माँ अन्नपूर्णा व्रत का महत्व
माँ अन्नपूर्णा माता पार्वती का एक रूप हैं, जो संसार को अन्न (भोजन) प्रदान करती हैं।
कहा जाता है कि जब एक बार पृथ्वी पर अन्न का अभाव हुआ, तब माँ अन्नपूर्णा ने स्वयं प्रकट होकर समस्त जीवों को अन्न प्रदान किया।
माँ की पूजा से न केवल घर में अन्न की कमी दूर होती है बल्कि धन, सुख और समृद्धि का भी आगमन होता है।
इस दिन श्रद्धा से व्रत करने पर घर में कभी भोजन की कमी नहीं होती और परिवार में सौहार्द बना रहता है।
माँ अन्नपूर्णा व्रत पूजा विधि
- स्नान और शुद्धि – प्रातःकाल स्नान कर घर और रसोई की सफाई करें।
- व्रत संकल्प – माँ अन्नपूर्णा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- माँ की मूर्ति या चित्र स्थापित करें – माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा या चित्र को पूजास्थल पर रखें।
- पूजन सामग्री – फूल, दीपक, चावल, हल्दी, अक्षत, भोग (खीर, हलवा, रोटियाँ आदि) तैयार करें।
- मंत्र जप – “ॐ अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राणवल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति॥”
इस मंत्र का जप करें। - भोग अर्पण – माँ को अन्न से बने व्यंजन और फल अर्पित करें।
- आरती करें – माँ अन्नपूर्णा की आरती करें और सभी परिवारजन को प्रसाद वितरित करें।
- दान – जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करना इस व्रत का सबसे बड़ा पुण्य कार्य है।
व्रत कथा
एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि संसार में सब कुछ माया है, यहाँ तक कि अन्न भी भ्रम है।
यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने अन्न वितरण बंद कर दिया।
इससे पूरे संसार में भुखमरी फैल गई।
तब भगवान शिव स्वयं काशी गए और माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी।
माँ ने शिव को अन्नदान देकर बताया कि अन्न ही जीवन का आधार है।
तभी से माँ अन्नपूर्णा की आराधना शुरू हुई और यह व्रत लोककल्याण के लिए प्रसिद्ध हुआ।
माँ अन्नपूर्णा व्रत के लाभ
- घर में अन्न, धन और समृद्धि की वृद्धि होती है।
- जीवन में संतोष और सुख का अनुभव मिलता है।
- घर की रसोई और भंडार सदा भरपूर रहते हैं।
- दान और सेवा से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है।
निष्कर्ष
माँ अन्नपूर्णा व्रत केवल अन्न की समृद्धि के लिए नहीं, बल्कि यह मानवता, सेवा और दान की भावना को जागृत करने वाला पावन पर्व है।
भक्ति और श्रद्धा से किया गया यह व्रत जीवन में सुख, शांति और सम्पन्नता लाता है।
