भैरव अष्टमी 2025: जानिए तिथि, व्रत विधि और महत्व
भैरव अष्टमी 2025: जानिए तिथि, व्रत विधि और महत्व
भैरव अष्टमी, जिसे काल भैरव जयंती भी कहा जाता है, भगवान शिव के उग्र रूप भैरव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट करने के लिए भैरव रूप धारण किया था। भैरव देव को “धर्म, न्याय और रक्षा के देवता” माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति को भय, शत्रु, पाप और संकटों से मुक्ति मिलती है।
भैरव अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 12 नवंबर 2025, बुधवार, प्रातःकाल से
तिथि समाप्त: 13नवंबर 2025, गुरुवार, प्रातःकाल तक
पूजन का शुभ समय: 12 नवंबर की रात्रि में मध्यरात्रि से पूर्व भैरव आराधना अत्यंत शुभ मानी जाती है।
इस दिन भक्त काल भैरव मंदिरों में जाकर पूजा, दान और आरती करते हैं। कई स्थानों पर यह उत्सव शिव मंदिरों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
भैरव अष्टमी व्रत विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जप करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- घर या मंदिर में भैरव बाबा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें सिंदूर, काली तिल, लाल पुष्प, धूप, दीप, और तेल का दीपक अर्पित करें।
- काले कुत्ते को भोजन कराने की परंपरा है, क्योंकि भैरव जी का वाहन कुत्ता है।
- दिनभर व्रत रखने के बाद रात्रि में भैरव चालीसा और कालभैरव अष्टक का पाठ करें।
- अगले दिन प्रातः भोजन कर व्रत का समापन करें।
भैरव अष्टमी का महत्व
भैरव अष्टमी का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। इस दिन की पूजा से —
- जीवन में आने वाले सभी भय, बुरे ग्रह और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
- व्यक्ति को न्याय, साहस, और आत्मबल प्राप्त होता है।
- व्यापार और कार्यक्षेत्र में विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं।
- भैरव पूजा से काल (समय) पर नियंत्रण और जीवन में स्थिरता आती है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भैरव अष्टमी का व्रत करता है, उसके जीवन से सभी संकट, रोग और कर्ज समाप्त हो जाते हैं।
भैरव अष्टमी मंत्र
“ॐ ह्रीं कालभैरवाय नमः।”
“ॐ कालभैरवाय फट् स्वाहा।”
इन मंत्रों का जप इस दिन करने से मन को शांति और भैरव देव की कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
भैरव अष्टमी केवल एक पर्व नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और शक्ति जागरण का दिन है। भगवान भैरव की आराधना से व्यक्ति को जीवन में धैर्य, साहस और न्यायप्रियता का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन की पूजा से काल भी अनुकूल हो जाता है और व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
