
परशुराम जयंती हिन्दू धर्म में भगवान परशुराम के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। भगवान परशुराम को विष्णु के छठे अवतार के रूप में माना जाता है। यह पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो अक्सर अक्षय तृतीया के दिन भी आता है। परशुराम जी को शस्त्र विद्या, तपस्या, और धर्म के रक्षक के रूप में जाना जाता है।
परशुराम जयंती से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- परशुराम का अर्थ है “परशु” (कुल्हाड़ी) धारण करने वाला।
- वे क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
- परशुराम अमर माने जाते हैं और माना जाता है कि वे कलियुग में भी जीवित हैं।
- वे शिवजी के परम भक्त और उनके द्वारा प्रदत्त दिव्य अस्त्र-शस्त्रों के धारक हैं।
- महाभारत, रामायण और अन्य ग्रंथों में परशुराम जी का वर्णन मिलता है।
परशुराम जयंती पर विशेषतः क्या किया जाता है:
- व्रत और उपवास रखा जाता है।
- भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना की जाती है।
- मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं।
- धर्मग्रंथों का पाठ और कथा का आयोजन होता है।
- दान पुण्य करना इस दिन विशेष शुभ माना जाता है।
बिलकुल! आइए परशुराम जयंती के बारे में और विस्तार से जानते हैं:
🌿 भगवान परशुराम का परिचय
- भगवान परशुराम, ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे।
- उनका जन्म क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त कर धर्म की रक्षा के उद्देश्य से हुआ था।
- परशुराम को शस्त्र विद्या का आद्य आचार्य (पहले शिक्षक) माना जाता है।
- वे विष्णु के छठे अवतार हैं और उन्हें क्रोध और करुणा का संतुलन माना जाता है।
📜 परशुराम जी की विशेषताएँ
- परशु (कुल्हाड़ी) उनका मुख्य अस्त्र है, जो उन्हें भगवान शिव से प्राप्त हुआ था।
- कहा जाता है कि उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था, जब क्षत्रिय राजा अत्याचारी बन गए थे।
- परशुराम को महान तपस्वी और अत्यंत विद्वान भी माना जाता है। उन्होंने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, और कर्ण जैसे महान योद्धाओं को शिक्षा दी थी।
- वे अमर हैं और कल्कि अवतार को शस्त्र प्रदान करने के लिए अब भी जीवित बताए जाते हैं।
🛕 परशुराम जयंती का महत्व
- यह दिन धर्म और न्याय की पुनर्स्थापना के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।
- परशुराम जी को स्मरण करने से साहस, पराक्रम और आत्मरक्षा की प्रेरणा मिलती है।
- अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती एक साथ पड़ने के कारण यह दिन विशेष पुण्यदायी होता है।
🌸 परशुराम जयंती की पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएँ।
- पुष्प, फल, चंदन, अक्षत आदि से पूजा करें।
- परशुराम स्तुति या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
- दिनभर व्रत रखें या सात्विक भोजन करें।
✨ परशुराम जयंती मंत्र
“ॐ विष्णवे नमः।
ॐ परशुरामाय नमः।”
या आप ये भी जप सकते हैं:
“ॐ जमदग्निनय नमः।”
🎉 कुछ परशुराम जयंती की शुभकामनाएँ
- “भगवान परशुराम जी की कृपा से आपका जीवन धर्म, शक्ति और साहस से भर जाए। शुभ परशुराम जयंती!”
- “सच्चे कर्म और न्याय के प्रतीक परशुराम जी का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे।”
अगर आप चाहें तो मैं आपको परशुराम जी की कथा, उनकी जीवन की कुछ प्रमुख घटनाएँ, या परशुराम से जुड़े रोचक तथ्य भी बता सकता हूँ।
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परशुराम जयंती 2025
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