
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
- माँ चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण के समान चमकदार होता है।
- इनके मस्तक पर अर्धचंद्र (घंटी के आकार का) होता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
- माँ के दस हाथ होते हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र सुशोभित रहते हैं।
- इनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और वीरता का प्रतीक है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
- माँ चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को साहस, शक्ति और निर्भयता प्राप्त होती है।
- यह देवी साधकों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
- इनकी कृपा से साधक के सभी पाप और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
- माँ को गंगा जल, रोली, अक्षत, फूल, धूप और दीप अर्पित करें।
- दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएँ, क्योंकि माँ को दूध से बनी चीजें प्रिय हैं।
- माँ चंद्रघंटा के मंत्र का जाप करें:
“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” - माता की आरती करें और अपनी मनोकामनाएँ अर्पित करें।
माँ चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। 🙏✨
नवरात्रि के तीसरे दिन
https://www.youtube.com/@bhaktikibhavnaofficial
चैत्र नवरात्रि 2025: शुभ तिथि, पूजा विधि और महत्व