
नवरात्रि के चतुर्थ दिन किस माता की पूजा की जाती है
नवरात्रि के चतुर्थ दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा की जाती है।
माँ कूष्माण्डा के बारे में:
- माँ दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं।
- इन्हें “सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी” कहा जाता है।
- इनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – “कूष्माण्ड” (कुम्हड़ा/पेठा) और “आ” (जिसका अर्थ है जिनसे उत्पत्ति हुई)।
- यह देवी ब्रह्मांड की रचनाकार मानी जाती हैं और इनके मंद-मंद हास्य से ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी।
माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि:
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- सिंदूर, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करें।
- “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” मंत्र का जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
- माँ को मालपुआ या पेठा (कुम्हड़ा) का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
माँ कूष्माण्डा का स्वरूप:
- माँ कूष्माण्डा अष्टभुजा धारी हैं।
- इनके हाथों में कमल, धनुष, बाण, कमंडल, चक्र, गदा, अमृत कलश और जप माला होती है।
- ये सिंह की सवारी करती हैं।
माँ कूष्माण्डा की कृपा से:
- भक्तों को आरोग्य, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- मानसिक तनाव और रोग दूर होते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- नवरात्रि के चतुर्थ दिन किस माता की पूजा की जाती है
🙏 जय माँ कूष्माण्डा! 🙏
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