
नवरात्र 2025 सप्तमी कब है
सप्तमी तिथि का समय इस प्रकार है:
- सप्तमी तिथि की शुरुआत: 28 सितंबर 2025 को दोपहर 2:28 बजे
- सप्तमी तिथि का समापन: 29 सितंबर 2025 को शाम 4:31 बजे
इस दिन भक्तगण नीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं और विशेष रूप से माँ कालरात्रि की आराधना करते हैं ।
नवरात्रि के इस विशेष अवसर पर, विशेष रूप से उत्तर भारत में, माँ कालरात्रि की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन देवी के आशीर्वाद से भक्तों को शत्रुओं से सुरक्षा, मानसिक शांति और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
माँ कालरात्रि पूजन सामग्री
- कलश – शुद्ध पानी से भरा
- दीपक – घी या तेल का
- दूध, फल, मिठाई – भोग हेतु
- कपूर, अगरबत्ती
- लाल, नीले रंग के वस्त्र – माता को अर्पित करने के लिए
- लाल चंदन, हल्दी, सिंदूर, रोली
- सप्तमी की विशेष माला या फूल
- माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र
पूजा विधि
- स्नान और शुद्धि
- दिन में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान को साफ करें और वहां लाल वस्त्र बिछाएं।
- कलश स्थापना
- कलश में जल भरें, उसमें नींबू, आभूषण या कुछ फूल डालें।
- कलश को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
- मूर्ति स्थापना
- माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र कलश के पास रखें।
- उसके सामने दीपक और अगरबत्ती रखें।
- मंत्र जाप और आराधना
- मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ की आराधना करें।
- प्रमुख मंत्र:
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः
- 108 बार जाप करने से विशेष फल मिलता है।
- फूल, लाल वस्त्र और भोग अर्पित करना
- फूल, लाल चंदन, सिंदूर, हल्दी अर्पित करें।
- दूध, मिठाई और फल भोग के रूप में अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलन और आरती
- दीपक जलाएं और माता की आरती करें।
- इस दिन नीले या लाल वस्त्र पहनकर पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
- प्रसाद वितरण
- भोग माता को अर्पित करने के बाद घर के सभी सदस्यों और जरूरतमंदों में प्रसाद वितरित करें।
माँ कालरात्रि पूजन के लाभ
- भय और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
- घर में सुख, शांति और समृद्धि
- शत्रु व दुश्मनों से रक्षा
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि
माँ काली की पूजा में मुख्य बात