तुलसी विवाह में भूल से भी ना करें ये गलतियां
1. अशुद्ध मन और शरीर से पूजा न करें
तुलसी विवाह भगवान विष्णु का विवाह है, इसलिए इस दिन शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
- स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- महिलाएं विशेष रूप से अपने मासिक धर्म के दौरान तुलसी पूजा से दूर रहें।
- पूजा स्थल और तुलसी चौरा को गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूजा के समय मन में क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक भाव न रखें।
2. तुलसी के पत्ते गलत समय पर न तोड़ें
- तुलसी के पत्ते सूर्यास्त के बाद, रविवार, अमावस्या, या संध्याकाल में नहीं तोड़ने चाहिए।
- तुलसी विवाह वाले दिन यदि पूजा से पहले पत्ते तोड़ने हैं तो सूर्योदय से पहले स्नान कर पवित्र मन से ही तोड़ें।
- तुलसी को तोड़ते समय “ओं तुलस्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
3. तुलसी चौरा की उपेक्षा न करें
तुलसी चौरा यानी तुलसी का स्थान माता तुलसी का घर माना जाता है।
- इसे गंदा या बिखरा हुआ न छोड़ें।
- चौरा को धोकर, लाल या पीला कपड़ा बिछाएं, और सुंदर ढंग से सजाएं।
- चौरा के चारों ओर दीपक जलाएं, फूल चढ़ाएं और मेंहदी या रंगोली से सजावट करें।
4. शालिग्राम जी की स्थापना में भूल न करें
तुलसी विवाह में भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम शिला का विशेष महत्व होता है।
- उन्हें तुलसी के सामने “दूल्हा” के रूप में स्थापित करें।
- शालिग्राम को स्नान कराकर पीले वस्त्र पहनाएं।
- तुलसी को लाल वस्त्र, चूड़ी, बिंदी और मंगलसूत्र से सजाएं।
- विवाह संस्कार जैसे गणेश पूजन, वर-वधू पूजन और कन्यादान विधि पूरी श्रद्धा से करें।
5. विवाह मंत्रों या विधियों में लापरवाही न करें
- तुलसी विवाह में विवाह के पारंपरिक संस्कार किए जाते हैं — जैसे वरमाला, मंगलसूत्र, सप्तपदी, आरती आदि।
- इस दौरान गायत्री मंत्र, विष्णु मंत्र, और तुलसी स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- अगर मंत्र याद न हों, तो अनुभवी पंडित से विधि करवाएं या धार्मिक पुस्तक के अनुसार करें।
🍚 6. भोजन में सात्त्विकता रखें
- इस दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन, शराब आदि वर्जित हैं।
- सात्त्विक भोजन बनाएं — जैसे खीर, पूड़ी, हलवा, पान, नारियल, फल आदि।
- तुलसी विवाह के बाद प्रसाद अवश्य बांटें।
7. दान और सेवा में कमी न रखें
तुलसी विवाह के दिन दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ होता है।
- जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, दीप, या धन का दान करें।
- गौ सेवा या ब्राह्मण सेवा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
8. तुलसी को झूठे हाथ से न छुएं
पूजा के बाद तुलसी के पत्ते खाने या चढ़ाने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके हाथ साफ हैं।
- तुलसी को झूठे हाथ से छूना अपवित्र माना जाता है।
- तुलसी पत्ते को चबाकर नहीं, बल्कि निगलकर ग्रहण करना चाहिए।
9. तुलसी को घर के दक्षिण दिशा में न रखें
- तुलसी का चौरा उत्तर, पूर्व या ईशान कोण में रखना शुभ होता है।
- दक्षिण दिशा में तुलसी रखना अशुभ माना जाता है क्योंकि यह यम दिशा मानी गई है।
10. अधूरा विवाह न करें
कई बार लोग समय की कमी के कारण जल्दी में पूजा समाप्त कर देते हैं।
लेकिन ध्यान रखें — तुलसी विवाह पूर्ण विधि से ही करना चाहिए।
- विवाह की सभी रस्में (वरमाला, मंगल फेरे, आरती, भोजन आदि) पूरी करें।
- विवाह के बाद तुलसी और शालिग्राम को एक साथ रखकर दीपक जलाएं।
तुलसी विवाह का महत्व
अविवाहित स्त्रियों को योग्य वर की प्राप्ति होती है और विवाहित महिलाओं को सौभाग्य व लंबी वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
यह विवाह भगवान विष्णु के शयन से जागरण (देवउठनी एकादशी) के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।
माना जाता है कि तुलसी विवाह के बाद सभी शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है — जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि।
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