
जानकी व्रत जानकी व्रत माता सीता को समर्पित एक पावन व्रत है, जिसे विशेष रूप से सुहागन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और संतान
जानकी व्रत माता सीता को समर्पित एक पावन व्रत है, जिसे विशेष रूप से सुहागन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है, जिसे सीता नवमी या जानकी जयंती भी कहते हैं। इस दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
विधि
- स्नान और संकल्प – प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- पूजा की तैयारी – एक चौकी पर माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें।
- पूजन सामग्री – पुष्प, रोली, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य आदि का प्रयोग करें।
- व्रत कथा श्रवण – जानकी माता की कथा सुनें या पढ़ें।
- आरती और भोग – पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
- दान-पुण्य – जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और दक्षिणा देकर पुण्य प्राप्त करें।
व्रत का महत्व
- इसे करने से विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- अविवाहित कन्याओं के लिए उत्तम वर की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
- संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है।
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