
जया एकादशी व्रत जया एकादशी व्रत
जया एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पवित्र व्रत माना जाता है। यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। इसे “पापमोचनी एकादशी” भी कहा जाता है।
जया एकादशी व्रत की कथा
पुराणों के अनुसार, इंद्रलोक में एक उत्सव के दौरान गंधर्व पुष्पवती नामक वन में गीत-नृत्य कर रहे थे। गंधर्व माली और उनकी पत्नी पुंडरीका भी इसमें शामिल थे। माली ने एक बार अपने गीत के दौरान भूलवश एक गलती कर दी, जिससे इंद्र नाराज हो गए और उसे श्राप देकर राक्षस योनि में भेज दिया। वह राक्षस बनकर जंगल में भटकने लगा।
बाद में, उसने माघ शुक्ल एकादशी का व्रत किया, जिससे उसकी राक्षस योनि समाप्त हो गई और उसे पुनः स्वर्ग में स्थान मिला।
व्रत विधि
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- पूजा: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। उन्हें पुष्प, तुलसी दल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- भजन-कीर्तन: दिनभर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और भजन-कीर्तन करें।
- व्रत का पालन: पूरे दिन अन्न का त्याग करें और फलाहार करें। कुछ लोग निर्जल व्रत भी रखते हैं।
- रात्रि जागरण: भगवान विष्णु के ध्यान में रात्रि जागरण करें।
- द्वादशी को पारण: व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में करें।
जया एकादशी के लाभ
- व्रत करने से पापों का नाश होता है।
- जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत राक्षसी योनि, दोषों और दु:खों से मुक्ति दिलाता है।
इस पावन दिन पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से न केवल इस जीवन में बल्कि परलोक में भी लाभ प्राप्त होता है।