
कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त
कुंभ संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार, वह समय होता है जब सूर्य मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करता है। यह संक्रांति 12 संक्रांतियों में से एक मानी जाती है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन स्नान, दान-पुण्य और सूर्य उपासना करने का विशेष महत्व होता है।
📅 कुंभ संक्रांति 2025 की तिथि और समय
- संक्रांति आरंभ: 12 फरवरी 2025, रात 10:03 बजे
- उदयातिथि के अनुसार पर्व मनाने की तिथि: 13 फरवरी 2025
हिंदू धर्म में, सूर्योदय के बाद पड़ने वाली तिथि को ही त्योहारों और व्रतों के लिए मान्यता दी जाती है। इस कारण से कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को मनाई जाएगी।
⏳ कुंभ संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त
🔸 पुण्य काल: दोपहर 12:36 बजे से शाम 6:10 बजे तक
🔸 महा पुण्य काल: शाम 4:19 बजे से शाम 6:10 बजे तक
📌 संक्रांति काल में किए गए दान-पुण्य का महत्व अधिक माना जाता है। महा पुण्य काल विशेष रूप से शुभ होता है, और इस समय स्नान, दान, तथा पूजा करने से हजारों गुना फल प्राप्त होता है।
🛕 पूजा विधि (व्रत और अनुष्ठान)
- सूर्योदय से पहले उठें:
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00-6:00 बजे) में उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है।
- यदि संभव हो, तो गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
- घर पर स्नान करने पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्यदेव को अर्घ्य दें:
- स्नान के बाद सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, चावल, और गुड़ डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- इस दौरान “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
- दान-पुण्य करें:
- इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, गुड़, तिल, और घी दान करना शुभ माना जाता है।
- ब्राह्मणों और गायों को चारा या भोजन खिलाना भी पुण्यकारी होता है।
- जल से भरा घड़ा और तिल दान करने का विशेष महत्व होता है।
- विशेष पूजा करें:
- संक्रांति के दिन भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा करें।
- तिल के तेल का दीपक जलाएं और घी का प्रयोग करें।
- मंदिरों में दर्शन और सेवा करें।
- संक्रांति काल में व्रत रखें:
- इस दिन उपवास रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- फलाहार करें या एक समय ही सात्विक भोजन ग्रहण करें।
📖 कुंभ संक्रांति का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
🔸 धार्मिक महत्व:
कुंभ संक्रांति का संबंध पवित्र कुंभ मेले से भी है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मशुद्धि और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है।
🔸 ज्योतिषीय महत्व:
कुंभ संक्रांति के समय सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करता है, जिससे समाज, राजनीति, और मौसम में परिवर्तन होते हैं। इस समय विशेष योग बनते हैं, जो साधना और भक्ति के लिए उत्तम होते हैं।
🌿 कुंभ संक्रांति पर विशेष उपाय
🔸 सूर्य को गुड़-मिश्रित जल अर्पित करें: इससे ग्रह दोष शांत होते हैं।
🔸 तांबे का दान करें: यह सूर्य की कृपा पाने का श्रेष्ठ उपाय है।
🔸 गाय को हरा चारा और गुड़ खिलाएं: यह सौभाग्य और समृद्धि बढ़ाता है।
🔸 गरीबों को तिल और वस्त्र दान करें: इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
🌞 निष्कर्ष
कुंभ संक्रांति न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होती है। इस दिन स्नान, दान, और पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति इस दिन शुभ कार्य करता है, तो उसे सौ गुना पुण्य प्राप्त होता है। इस पवित्र अवसर पर सूर्य भगवान की पूजा करके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त