कल्पादि नवमी — युग आरंभ और पितृ तर्पण का शुभ-पवित्र पर्व
29 नवंबर 2025: क्यों है कल्पादि नवमी शुभ दिन?
कल्पादि नवमी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। यह दिन हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 29 नवंबर (शनिवार) को पड़ेगी। तत्वों, पुराणों और धर्मशास्त्र में इसे अत्यंत पुण्यदायी दिन बताया गया है।
इस दिन को शुभ मानने के कई प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं:
1. कल्प (युग) के आरंभ का प्रतीक
“कल्प” का अर्थ ब्रह्मा जी का एक दिव्य दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने नए सृष्टि-चक्र की शुरुआत की थी।
इसलिए कल्पादि नवमी को —
कल्पादि नवमी — युग आरंभ और पितृ तर्पण का शुभ-पवित्र पर्व (Long Details)
कल्पादि नवमी हिंदू पंचांग के अनुसार एक अत्यंत पवित्र और शुभ तिथि मानी जाती है। यह दिन नए कल्प (युगचक्र) की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की पुनर्रचना का संकल्प लिया था, इसलिए इसे सृष्टि के नव आरंभ का दिन भी कहा जाता है।
कल्पादि नवमी का आध्यात्मिक महत्व
- इस तिथि को ब्रह्मांड में सात्त्विक ऊर्जा का विशेष संचार माना जाता है।
- कलह, बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और पितृदोष के निवारण के लिए यह दिन अत्यंत प्रभावी माना गया है।
- यह तिथि आत्मशुद्धि, पुण्यसंचय और कर्मशुद्धि का श्रेष्ठ समय है।
पितृ तर्पण का महत्व
कल्पादि नवमी को पितरों का विशेष दिन भी माना गया है।
- इस दिन किया गया तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध पितरों को अधिक जल्दी तृप्त करता है।
- पितरों की कृपा से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
- माना जाता है कि इस दिन किया गया पितृ तर्पण अनेक जन्मों के दोषों से मुक्ति दिलाने वाला होता है।
पूजा-विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- गंगा जल, तिल, जल, फूल और अक्षत से पितरों का तर्पण करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराना या दान देना विशेष शुभ माना गया है।
- शाम को दीपदान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
इस शुभ दिन के लाभ
- पितरों की पूर्ण संतुष्टि और आशीर्वाद
- परिवार से संकटों का निवारण
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- धन-समृद्धि में वृद्धि
- मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति
