उत्पन्ना एकादशी प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रत करने से समृद्धि, सुख-शांति और पाप नाश की प्राप्ति होती है।
- उत्पन्ना एकादशी प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है।
- यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रत करने से समृद्धि, सुख-शांति और पाप नाश की प्राप्ति होती है।
उत्पन्ना एकादशी
- उत्पन्ना एकादशी को भगवान विष्णु का विशेष व्रत माना जाता है।
- इसे करने से व्यक्ति के जीवन में धन-संपत्ति, स्वास्थ्य और मानसिक शांति आती है।
- इस दिन व्रती की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
उत्पन्ना एकादशी की तैयारी
- व्रत से एक दिन पहले घर और पूजा स्थान को स्वच्छ करें।
- व्रत हेतु साफ वस्त्र और नए या धोए हुए कपड़े रखें।
- घर में पूजन की सामग्री जैसे भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर, दीपक, अगरबत्ती, फूल, अक्षत, फल, और प्रसाद तैयार रखें।
- व्रत की शुरुआत संध्या व्रत या ब्रह्म मुहूर्त में की जा सकती है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि
1. ब्रह्म मुहूर्त स्नान
- व्रती ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्वच्छ जल से स्नान करें।
- स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
2. पूजा का स्थान सजाना
- पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखें।
- दीपक, अगरबत्ती, फूल, अक्षत और फल सजाएं।
3. व्रत का संकल्प
- व्रती उत्पन्ना एकादशी व्रत का संकल्प लें।
- संकल्प के समय व्रती यह कह सकता है:
“मैं आज उत्पन्ना एकादशी का व्रत कर रहा हूँ/रही हूँ। भगवान विष्णु की कृपा से मेरा जीवन सुखी और समृद्ध होगा।”
4. भगवान विष्णु की पूजा
- सुप्रसन्न भाव से भगवान विष्णु की पूजा करें।
- विष्णु मंत्र का जप करें, जैसे:
“ॐ नमो नारायणाय” - फूल, अक्षत और दीपक अर्पित करें।
- अगर संभव हो तो विष्णु की कथा पढ़ें या सुनें।
5. व्रत का पालन
- पूर्ण निशिदा (निराहार व्रत) रखने का विधान है।
- यदि कठिन हो तो फलाहार (फल, दूध, दूध उत्पाद) किया जा सकता है।
- अशुद्ध भोजन, मांस, मद्य और नाश्ते से परहेज करें।
6. एकादशी समाप्ति
- अमावस्या या द्वादशी को ब्रिज के साथ व्रत खोलें।
- द्वादशी के दिन स्नान करके और भगवान विष्णु को भोग अर्पित करके व्रत खोलें।
- व्रत खोलते समय गरीबों को दान देने का विशेष महत्व है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत के लाभ
- जीवन में धन-संपत्ति और समृद्धि आती है।
- घर में सुख-शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
- पितृ और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति होती है।
- भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी व्रत की शुरुआत – उत्पन्ना एकादशी का महत्व
