
अहोई अष्टमी व्रत 2025: जानिए तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
🪔 अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए माताएं करती हैं। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सच्चे मन से अहोई माता का व्रत रखने से संतान पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं और घर में खुशियां बनी रहती हैं।
📅 अहोई अष्टमी व्रत 2025 की तिथि
- तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2025, मंगलवार, दोपहर 01:46 बजे से
- तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2025, बुधवार, दोपहर 12:09 बजे तक
- अहोई अष्टमी व्रत (उपवास का दिन): 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार
🌕 चंद्र दर्शन का समय
अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं संध्या के समय तारे और चंद्रमा के दर्शन करके व्रत का पारण करती हैं।
- चंद्र दर्शन का संभावित समय: रात 08:10 बजे (स्थानानुसार थोड़ा परिवर्तन संभव है)
🙏 पूजा विधि (Puja Vidhi)
- सुबह स्नान कर संकल्प लें – अहोई माता के व्रत का संकल्प लें और व्रत का नियम करें।
- पूजा स्थल तैयार करें – दीवार या कागज पर अहोई माता का चित्र बनाएं या अहोई माता की तस्वीर स्थापित करें।
- दीपक जलाएं – मिट्टी का दीपक जलाकर भगवान गणेश और अहोई माता की आराधना करें।
- पूजन सामग्री – दूध, चावल, रोली, सिंदूर, हलवा, पूड़ी, पानी से भरा कलश, फल, अहोई माता की कथा पुस्तक रखें।
- कथा श्रवण करें – परिवार सहित अहोई अष्टमी की कथा सुनें।
- संध्या पूजा – तारे को अर्घ्य दें और अहोई माता से संतान की रक्षा व दीर्घायु की प्रार्थना करें।
- व्रत पारण – चंद्र दर्शन के बाद जल ग्रहण कर व्रत का समापन करें।
🌺 अहोई अष्टमी व्रत कथा (संक्षेप में)
एक बार एक साहूकार की सात बेटियाँ और एक बहू थीं। कार्तिक मास की अष्टमी को वे जंगल में मिट्टी खोदने गईं ताकि दीवार पर अहोई माता का चित्र बना सकें। उसी समय बहू के हाथों गलती से एक छोटे से साही का बच्चा (शेर का शावक) मर गया। उस अपराध के कारण उसके सभी बच्चे काल के गाल में समा गए। दुखी होकर वह अहोई माता की पूजा करने लगी और सच्चे मन से क्षमा माँगी। माता प्रसन्न हुईं और उसे संतान सुख का आशीर्वाद दिया। तब से यह व्रत संतान की दीर्घायु और कल्याण के लिए रखा जाता है।
💫 अहोई अष्टमी व्रत के लाभ
- संतान की रक्षा होती है और आयु बढ़ती है।
- परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- महिलाओं की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- संतानहीन दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
⚜️ विशेष सावधानियां
- व्रत वाले दिन तीखे, प्याज, लहसुन या मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
- किसी का अपमान न करें, दान-पुण्य करें।
- संध्या के समय तारे के दर्शन करना बहुत शुभ माना गया है।
🪶 निष्कर्ष
अहोई अष्टमी व्रत मातृत्व और आस्था का प्रतीक है। अहोई माता की सच्चे मन से पूजा करने पर जीवन में सुख, समृद्धि और संतान का कल्याण सुनिश्चित होता है। यह व्रत केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से भी मां के प्रेम का सबसे सुंदर रूप दर्शाता है।
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