श्रीमद्भगवद्गीता का पंद्रहवां अध्याय, जिसे “पुरुषोत्तम योग” कहा जाता है, अत्यंत गूढ़ और महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान...
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भक्ति की भावना
"भक्ति की भावना" एक आध्यात्मिक मंच है, जहाँ श्रद्धा, विश्वास और प्रेम के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त किया जाता है। यह वेबसाइट भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है, जहाँ वे भजन, कीर्तन, मंत्र, धार्मिक लेख और प्रेरणादायक कथाओं के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। हमारा उद्देश्य है लोगों को आंतरिक शांति, समर्पण और ईश्वर की निकटता का अनुभव कराना।
हमारी वेबसाइट पर आपको मिलेगा:
भक्तिपूर्ण भजन और आरती संग्रह
देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएँ और व्रत कथाएँ
प्रेरणादायक संतवाणी और आध्यात्मिक लेख
त्योहारों की जानकारी और पूजन विधियाँ
रोज़ाना के लिए विशेष मंत्र और ध्यान तकनीकें
भक्ति की भावना, सिर्फ एक वेबसाइट नहीं, एक आध्यात्मिक यात्रा है — आत्मा से परमात्मा तक।
तुलसी माता को प्रसन्न करने के लिए सच्चे मन और श्रद्धा से उनकी सेवा और पूजा करनी...
तुलसी माता की पूजा भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तुलसी को सुख-समृद्धि,...
श्लोक 1-3: ज्ञान और सृष्टि का वर्णन श्लोक 1श्री भगवान ने कहा:“मैं अब तुझे उत्तम ज्ञान बताऊंगा,...
हनुमान जी की पूजा विधि में भक्ति, सरलता और श्रद्धा का विशेष महत्व होता है। यहाँ पर...
श्रीमद्भगवद्गीता का 13वाँ अध्याय “क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विभाग योग” कहलाता है। इसमें 35 श्लोक हैं। नीचे अध्याय 13 के...
श्रीमद्भगवद्गीता – 12वां अध्याय (भक्तियोग)यहाँ अध्याय के सभी 20 श्लोकों का हिंदी अर्थ प्रस्तुत है: श्लोक 1:...
श्रीमद्भगवद्गीता के 11वें अध्याय (विश्वरूपदर्शन योग) अध्याय 11: विश्वरूपदर्शन योग श्लोक 1: अर्जुन उवाच: मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्।यत्त्वयोक्तं...
यह अध्याय भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद का दसवां भाग है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अपनी दिव्य...
श्रीमद्भगवद्गीता के नवम अध्याय को “राजविद्याराजगुह्ययोग” कहा जाता है। यह अध्याय अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भगवान...
