
बृहस्पतिवार का व्रत मुख्य रूप से बृहस्पति देव (गुरु ग्रह) को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत धन, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति लाने में सहायक माना जाता है। बृहस्पति देव को विद्या, ज्ञान और समृद्धि का कारक ग्रह माना गया है, और इनकी पूजा से लक्ष्मीजी के आगमन की संभावना भी बढ़ती है।
कैसे बृहस्पतिवार का व्रत लक्ष्मीजी का आह्वान करता है?
- गुरु ग्रह का प्रभाव:
बृहस्पति को शुभ और धन-संपत्ति का स्वामी माना जाता है। इनके प्रसन्न होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और आर्थिक स्थिरता आती है। - सात्विकता और संयम:
व्रत के दौरान सात्विक आचरण और शुद्धता का पालन लक्ष्मीजी को आकर्षित करता है, क्योंकि वह स्वच्छता और पवित्रता की देवी हैं। - दान और भक्ति:
इस दिन जरूरतमंदों को दान (विशेषकर पीली चीजें जैसे चना दाल, हल्दी, पीले कपड़े) करने से पुण्य मिलता है और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। - पारिवारिक शांति:
व्रत से वैवाहिक जीवन में शांति आती है और परिवार के सदस्य एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान रखते हैं। लक्ष्मीजी का वास ऐसे घरों में होता है। - मंत्र और पूजा:
व्रत के दौरान “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप और विष्णु-लक्ष्मीजी की पूजा से आर्थिक कठिनाइयां दूर होती हैं।
विशेष नियम:
- व्रत के दिन नमक और तेल का सेवन न करें।
- पीले वस्त्र पहनें और पीले रंग की चीजें खाएं।
- जरूरतमंदों को दान जरूर करें।
- बृहस्पति देव के साथ लक्ष्मीजी और विष्णुजी की पूजा करें।
यदि यह व्रत पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए, तो जीवन में समृद्धि और लक्ष्मीजी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
कैसे बृहस्पतिवार का व्रत लक्ष्मीजी का आह्वान करता है?