
तुलसी माता की आरती
तुलसी माता की आरती
(यह आरती भगवान विष्णु और तुलसी माता की महिमा का वर्णन करती है।)
आरती श्री तुलसी माता की।
जग को निरमल करने वाली।।
आरती श्री तुलसी माता की।
जग को निरमल करने वाली।।
तुलसी महारानी नमो नमः।
श्री विष्णु प्रियानी नमो नमः।।
नमो नमः राधा जानी।
श्री कृष्ण चरणों की रानी।।
आरती श्री तुलसी माता की।
जग को निरमल करने वाली।।
शालिग्राम की प्रिय तुम हो।
भक्तों को प्रिय तुम हो।।
तुम्हारे गुण गायें संसार।
तुम्हारे बिना श्रीहरि अपार।।
आरती श्री तुलसी माता की।
जग को निरमल करने वाली।।
जल में डालें तो पावन हो।
कंठ में धारण तो शुभ हो।।
हर रोग हर दुःख को हरें।
तुलसी माँ के दर्शन करें।।
आरती श्री तुलसी माता की।
जग को निरमल करने वाली।।
संपूर्ण शिक्षा (शिक्षा के सभी पहलुओं पर आधारित)
आप “संपूर्ण शिक्षा” के बारे में पूछ रहे हैं, जो नैतिक, शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक शिक्षा का सम्मिलित रूप है।
क्या आप विशेष रूप से किसी विषय या दृष्टिकोण (जैसे वेद, गीता, आधुनिक शिक्षा प्रणाली) से जुड़े पाठ या लेख चाहते हैं? कृपया थोड़ा और स्पष्ट करें, ताकि मैं आपके अनुरूप जानकारी प्रदान कर सकूं।
तुलसी माता की आरती का अर्थ (हिंदी में)
तुलसी माता की आरती भगवान विष्णु और तुलसी माता की महिमा का बखान करती है। इसका मुख्य संदेश है कि तुलसी माता पवित्रता, शुभता और भक्तों के कष्टों को हरने वाली हैं।
- आरती श्री तुलसी माता की, जग को निरमल करने वाली।
तुलसी माता की आरती इस बात को बताती है कि वह संसार को शुद्ध और पवित्र बनाती हैं। - तुलसी महारानी नमो नमः, श्री विष्णु प्रियानी नमो नमः।
तुलसी माता को श्री विष्णु की प्रिय मानकर उनकी विनम्रतापूर्वक स्तुति की जाती है। - शालिग्राम की प्रिय तुम हो, भक्तों को प्रिय तुम हो।
शालिग्राम भगवान (भगवान विष्णु का स्वरूप) की प्रिय होने के कारण, तुलसी माता की महत्ता है। वे भक्तों को सुख और शांति प्रदान करती हैं। - जल में डालें तो पावन हो, कंठ में धारण तो शुभ हो।
तुलसी का जल में डाला जाना उसे पवित्र बनाता है, और गले में पहनने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्धता का प्रतीक है।
संपूर्ण शिक्षा आरती का अर्थ (हिंदी में)
अगर “संपूर्ण शिक्षा” आरती का मतलब व्यापक शिक्षा के संदर्भ में है, तो इसका मुख्य उद्देश्य जीवन के सभी पहलुओं को समग्र रूप से समझना और अपनाना है। इसमें नैतिकता, भक्ति, सामाजिक जिम्मेदारी और मानसिक विकास शामिल हैं।
- नैतिक शिक्षा: सही और गलत के बीच अंतर करना।
- शारीरिक शिक्षा: शरीर को स्वस्थ और क्रियाशील रखना।
- मानसिक शिक्षा: ज्ञान अर्जन और निर्णय लेने की क्षमता का विकास।
- आध्यात्मिक शिक्षा: ईश्वर और धर्म के प्रति आस्था को बढ़ाना।
संपूर्ण शिक्षा आरती
आरती ज्ञान प्रकाश की, जीवन को उजियारा देने वाली।
सभी अज्ञान मिटाने वाली, जग को सन्मार्ग दिखाने वाली।।
नैतिकता की ज्योति जलाओ, सत्य, अहिंसा, धर्म सिखाओ।
जीवन में अच्छे कर्म बसा दो, स्वार्थ की भावना दूर हटाओ।।
आरती ज्ञान प्रकाश की, जीवन को उजियारा देने वाली।।
शारीरिक बल का हो विस्तार, स्वास्थ्य हमारा हो उपहार।
योग, व्यायाम को अपनाएं, तन-मन को स्वस्थ बनाएं।।
आरती ज्ञान प्रकाश की, जीवन को उजियारा देने वाली।।
मानसिक विकास की राह बताओ, ज्ञान-विज्ञान की लौ जलाओ।
सोच को ऊंचा, हृदय विशाल, हर बालक बने तेजस्वी मिसाल।।
आरती ज्ञान प्रकाश की, जीवन को उजियारा देने वाली।।
आध्यात्मिक शक्ति का आधार, ईश्वर के प्रति हो विश्वास अपार।
भक्ति, विनम्रता जीवन में आए, आत्मा का सत्य हमें समझाए।।
आरती ज्ञान प्रकाश की, जीवन को उजियारा देने वाली।।
संपूर्ण शिक्षा का हो प्रचार, हर दिल में जागे नया विचार।
संपूर्ण विकास का हो प्रयास, बने मानवता का उजास।।
आरती ज्ञान प्रकाश की, जीवन को उजियारा देने वाली।।
इस आरती का अर्थ
यह आरती शिक्षा के चारों आयामों को समर्पित है:
- नैतिकता: व्यक्ति के आचरण और मूल्यों को सुधारने के लिए।
- शारीरिक स्वास्थ्य: शरीर को सशक्त और क्रियाशील बनाने के लिए।
- मानसिक विकास: सोचने-समझने और ज्ञान को बढ़ाने के लिए।
- आध्यात्मिकता: आत्मा और परमात्मा के संबंध को जानने और जीवन को संतुलित करने के लिए।
इस आरती को गाकर या पढ़कर, हम अपने जीवन को संपूर्ण बनाने और समाज को बेहतर दिशा देने का प्रण ले सकते हैं।