
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय इन नियमों का करें पालन, करे भूलकर भी न करें ये गलती
सूर्य देव को जल अर्पित करना (अर्घ्य देना) एक प्राचीन और पवित्र परंपरा है, जिसका उल्लेख वेद, पुराण और विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह विशेष रूप से हिंदू धर्म में ऊर्जा, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है। नीचे सूर्य देव को जल चढ़ाने का संपूर्ण नियम दिया गया है:
1. सूर्य अर्घ्य देने का समय
- प्रातःकाल सूर्योदय के समय जल चढ़ाना सर्वोत्तम माना गया है।
- शाम को सूर्यास्त के समय भी जल अर्पित किया जा सकता है।
2. आवश्यक सामग्री
- साफ जल से भरा तांबे का लोटा (अथवा कोई अन्य धातु पात्र)।
- कुशा (यदि उपलब्ध हो)।
- लाल पुष्प (जैसे गुड़हल)।
- कुमकुम, अक्षत (चावल)।
- यदि संभव हो तो शुद्ध घी का दीपक।
3. विधि
- स्नान और स्वच्छता:
- सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
- शरीर और मन को शांत करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करें:
- सूर्यदेव को जल देने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े हों।
- संभव हो तो एक चटाई या आसन पर खड़े हों।
- तांबे के लोटे में जल भरें:
- लोटे में साफ जल लें और उसमें कुमकुम, अक्षत, लाल पुष्प और थोड़ी सी शक्कर डाल सकते हैं।
- अर्घ्य अर्पित करें:
- दोनों हाथों से लोटा पकड़ें और अंगूठे तथा तर्जनी अंगुलियों के बीच से जल अर्पित करें।
- जल धीरे-धीरे सूर्य की ओर देखें और बहाएं।
- सूर्य मंत्र का उच्चारण करें:
- जल चढ़ाते समय निम्न मंत्रों का जाप करें:गायत्री मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥
सूर्य बीज मंत्र:ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
आदित्य मंत्र:ॐ आदित्याय च सोमाय च मंगलाय बुधाय च। गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥
- जल चढ़ाते समय निम्न मंत्रों का जाप करें:गायत्री मंत्र:
- प्रार्थना करें:
- सूर्यदेव से ऊर्जा, स्वास्थ्य और ज्ञान की प्रार्थना करें।
- प्रार्थना के बाद सूर्यदेव को प्रणाम करें।
4. जल चढ़ाने के लाभ
- स्वास्थ्य में सुधार।
- मन और मस्तिष्क को शांति।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
- आत्मविश्वास और ऊर्जा का संचार।
- वैवाहिक और पारिवारिक सुख।
5. विशेष सावधानियां
- गंदे कपड़े पहनकर या बिना स्नान किए अर्घ्य न दें।
- जल अर्पण करते समय मन शांत और विचार सकारात्मक रखें।
- सूर्यदेव को जल अर्पण करते समय केवल तांबे का पात्र ही सबसे शुभ माना जाता है।
सारांश
सूर्य देव को जल चढ़ाना आपकी दिनचर्या को सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है। यह न केवल धार्मिक परंपरा है बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए भी लाभकारी है।
दुसरा
सूर्य देव को जल अर्पित करने का नियम न केवल धार्मिक है, बल्कि यह हमारी परंपरा और स्वास्थ्य दोनों से जुड़ा हुआ है। यहां सूर्य अर्घ्य के विस्तृत नियम और उसका गहन ज्ञान दिया गया है:
1. सूर्य अर्घ्य का महत्व (गहन ज्ञान)
- सूर्य देव को ऊर्जा का स्रोत माना गया है। वे सृष्टि के पोषक और जीवन के आधार हैं।
- वेदों में सूर्य को आदित्य कहा गया है, जो जीवन शक्ति, बुद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।
- जल अर्पण करने से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर और मन पर प्रभाव डालती है।
- आयुर्वेद और योग में यह माना गया है कि सूर्य की किरणें पाचन शक्ति, रक्त प्रवाह और मानसिक शांति को बेहतर बनाती हैं।
- यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।
2. सूर्य अर्घ्य देने का विस्तृत नियम
(क) जल चढ़ाने से पहले की तैयारी
- स्नान:
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- यदि संभव हो तो गंगाजल का उपयोग करें या स्नान में कुछ गंगाजल मिलाएं।
- आसन:
- सूर्य को अर्घ्य देते समय एक साफ आसन का उपयोग करें। यह ऊर्जा का संतुलन बनाए रखता है।
- कुशा का आसन सबसे शुभ माना जाता है।
- दिशा:
- अर्घ्य देने के लिए हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करें।
- यह दिशा ऊर्जा का केंद्र है, जो आपकी प्रार्थना को सूर्य तक पहुंचाती है।
(ख) जल अर्पण की विधि
- पात्र और सामग्री:
- तांबे का लोटा लें। यह ऊर्जा का बेहतर संवाहक है।
- उसमें साफ जल भरें। यदि संभव हो तो उसमें चुटकी भर रोली, चावल (अक्षत), गुड़ या शहद मिलाएं।
- एक लाल पुष्प (जैसे गुड़हल) रखें।
- प्रणाम और संकल्प:
- जल अर्पित करने से पहले सूर्य देव को प्रणाम करें और उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करें।
- संकल्प लें कि आप अपने मन और कर्मों को शुद्ध बनाएंगे।
- जल अर्पण करें:
- लोटे से जल को धीरे-धीरे अर्पित करें।
- ध्यान रखें कि जल की धारा सूर्य की ओर उंगलियों के बीच से बहे।
- जल अर्पण करते समय सूर्य के तेज को देखकर मानसिक ध्यान करें।
- मंत्र जाप:
जल अर्पित करते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करें:सूर्य गायत्री मंत्र:ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।
सूर्य बीज मंत्र:ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
सूर्य नमस्कार मंत्र:ॐ सूर्याय नमः। ॐ भास्कराय नमः। ॐ मित्राय नमः। ॐ रवये नमः।
- जल अर्पण के बाद:
- अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव को हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
- “सूर्याष्टक” का पाठ करें या मन ही मन सूर्य स्तुति करें।
- अंत में तीन बार “ॐ सूर्याय नमः” बोलें।
3. सूर्य अर्घ्य के लाभ
धार्मिक लाभ:
- भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पापों का नाश होता है और जीवन में शुभ फल मिलते हैं।
- ग्रहों की शांति (विशेषकर सूर्य और शनि दोष) होती है।
आध्यात्मिक लाभ:
- मन को शांति और ध्यान में स्थिरता मिलती है।
- आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
स्वास्थ्य लाभ:
- सूर्य की किरणें शरीर में विटामिन डी का संचार करती हैं।
- पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- नेत्रज्योति (आंखों की रोशनी) में सुधार होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
4. सूर्य अर्घ्य में ध्यान देने योग्य बातें (अतिरिक्त ज्ञान)
- सूर्योदय का समय:
- अर्घ्य सूर्योदय के 15 मिनट के भीतर देना सबसे उत्तम है।
- इस समय सूर्य की किरणें सबसे सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
- जल अर्पण की दिशा:
- जल पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में चढ़ाना चाहिए।
- यदि यह संभव न हो तो अपने घर की छत या खुले स्थान पर जल चढ़ाएं।
- पवित्रता:
- जल अर्पित करते समय मन और वाणी को शुद्ध रखें।
- अपशब्द या नकारात्मक विचार न आने दें।
- निरंतरता:
- सूर्य को जल प्रतिदिन चढ़ाने का नियम बनाएं।
- यह आदत आपके जीवन में अनुशासन और सकारात्मकता लाती है।
5. सूर्य अर्घ्य के साथ अन्य पूजा उपाय
- सूर्य देव को जल देने के बाद “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करें।
- सूर्य को लाल गुड़हल के फूल और गुड़ अर्पित करें।
- रविवार के दिन व्रत रखें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
- सूर्य देव को नियमित रूप से दीपक और अगरबत्ती अर्पित करें।
6. विशेष टिप्स (गहराई से समझें)
- ग्रह दोष शांति:
- जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है या शनि का प्रभाव अधिक है, उन्हें यह उपाय अवश्य करना चाहिए।
- इसके साथ सूर्य के लिए लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़ आदि का दान करें।
- आर्थिक उन्नति के लिए:
- रविवार को सूर्य मंत्रों का जाप करें।
- सूर्य अर्घ्य के बाद जरूरतमंदों को तांबे का पात्र या गुड़ दान करें।
- चंद्रमा और मानसिक शांति के लिए:
- सूर्य को जल चढ़ाने के साथ चंद्रमा के मंत्रों का भी जाप करें।
सारांश में:
सूर्य देव को जल अर्पण करना केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह जीवन में अनुशासन, सकारात्मकता और ऊर्जा लाने का उपाय है। यदि इसे नियमित रूप से शुद्ध भाव से किया जाए, तो यह आपके जीवन में अद्भुत बदलाव ला सकता है।