
तुलसी माता की पूजा विधि /तुलसी माता की पूजा विधि
तुलसी माता की पूजा भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तुलसी को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यहाँ तुलसी माता की पूजा करने की विधि बताई जा रही है:
तुलसी माता की पूजा सामग्री:
- तुलसी का पौधा
- एक दीपक (घी या तेल का)
- कुमकुम और हल्दी
- अक्षत (चावल)
- फूल और माला
- अगरबत्ती
- गंगाजल या स्वच्छ पानी
- मिठाई या गुड़ का भोग
- तुलसी चालीसा या तुलसी स्तुति की पुस्तक
तुलसी पूजा विधि:
- स्नान और शुद्धता:
प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान और तुलसी के आसपास का क्षेत्र साफ करें। - तुलसी को जल चढ़ाएं:
तुलसी माता के पौधे को गंगाजल या स्वच्छ पानी से स्नान कराएं। यह उनकी शुद्धता के लिए आवश्यक है। - तुलसी के पास दीपक जलाएं:
घी या तेल का दीपक जलाकर तुलसी माता के पास रखें। यह दीपक पूरे पूजा समय तक जलता रहना चाहिए। - सामग्री चढ़ाना:
- तुलसी के पौधे पर कुमकुम और हल्दी लगाएं।
- अक्षत (साबुत चावल) और फूल अर्पित करें।
- तुलसी माता के पास अगरबत्ती जलाएं।
- प्रार्थना करें:
- तुलसी माता की चालीसा, आरती या कोई स्तुति पढ़ें।
- यदि चालीसा उपलब्ध नहीं है, तो तुलसी माता के समक्ष “ॐ तुलस्यै नमः” का जाप करें।
- परिवार के सुख-शांति और समृद्धि की कामना करें।
- भोग अर्पित करें:
तुलसी माता को मिठाई, गुड़, या फल का भोग लगाएं। - परिक्रमा करें:
तुलसी माता के चारों ओर तीन या सात बार परिक्रमा करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। - आरती:
तुलसी माता की दीपक के साथ आरती करें। - प्रसाद वितरण:
पूजा के बाद भोग और तुलसी के पत्तों को प्रसाद के रूप में सभी को बांटें।
महत्वपूर्ण बातें:
- तुलसी की पूजा मुख्य रूप से प्रातःकाल या संध्या समय करें।
- तुलसी के पत्ते तोड़ते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
- तुलसी माता को कभी भी अशुद्ध हाथों से न छुएं।
तुलसी माता की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।