बृहस्पतिवार को केले के पेड़ संक्षेप विधि, मंत्र, कथा, आरती
हिन्दू धर्म में गुरुवार (बृहस्पतिवार) का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित माना जाता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। केले का वृक्ष पवित्र माना जाता है और कई मान्यताओं के अनुसार इसमें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास बताया गया है। गुरुवार की पूजा में केले के पेड़ की पूजा शुभ फल प्रदान करने वाली मानी जाती है।
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित माना गया है।
इस दिन केले के पेड़ की पूजा करने से धन–समृद्धि, संतान सुख, दांपत्य सुख, और शिक्षा में सफलता मिलती है।
✅ 1. संक्षिप्त पूजा-विधि (Short )
- प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
- केले के पेड़ को जल, दूध या गंगाजल अर्पित करें।
- हल्दी–कुमकुम, चावल, फूल चढ़ाएँ।
- मीठा प्रसाद (बेसन लड्डू/केले) अर्पित करें।
- “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का 108 बार जाप करें।
- केले के पेड़ के चार परिक्रमा करें।
- अंत में आरती करें।
📜 2. विस्तृत पूजा-विधि
● सामग्री
- पीला वस्त्र
- जल, गंगाजल
- हल्दी, कुमकुम
- अक्षत (चावल)
- पीले फूल
- गुड़, बेसन के लड्डू
- दीपक (घी का)
- धूप-बत्ती
- केला फल
- बृहस्पति देव की तस्वीर (यदि हो)
● पूजा की प्रक्रिया
- स्नान व संकल्प:
– स्नान करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
– संकल्प लें:
“मैं आज बृहस्पतिवार को भगवान बृहस्पति और श्री विष्णु की पूजा कर रही/रहा हूँ। मेरे घर में सुख, शांति और ज्ञान की वृद्धि हो।” - पेड़ का स्नान
– केले के पेड़ को जल या गंगाजल से स्नान कराएँ।
– थोड़ा कच्चा दूध भी जल में मिलाया जा सकता है। - अभिषेक
– पेड़ पर हल्दी का तिलक लगाएँ (हल्दी बृहस्पति का प्रमुख तत्व है)।
– कुमकुम मात्र महिलाओं के लिए, पुरुष कुमकुम न लगाएँ। - पूजन
– दीपक जलाएँ।
– फूल, अक्षत, चंदन अर्पित करें।
– पीला मीठा प्रसाद रखें।
– केले के फल का नैवेद्य रखें (एक फल वहीं न खाएं—घर लाकर परिवार को बाँटें)। - मंत्र-जाप
– बृहस्पति देव के मुख्य मंत्र का जाप करें:
“ॐ बृं बृहस्पतये नमः।” (108 बार) - विष्णु मंत्र
– “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (108 बार या जितना संभव हो) - परिक्रमा
– केले के पेड़ की 3 या 7 बार परिक्रमा करें। - आरती
– अंत में भगवान बृहस्पति और श्री विष्णु की आरती करें।
🕉 3. उपासना के प्रमुख मंत्र
✔ बृहस्पति मूल मंत्र
“ॐ बृं बृहस्पतये नमः।”
✔ वृहस्पति गायत्री मंत्र
“ॐ अंगिरसोया विद्महे, पीतवस्त्राय धीमहि, तन्नो बृहस्पति: प्रचोदयात्।”
✔ विष्णु मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”
📖 4. केले के पेड़ की पूजा की कहानी
प्राचीन समय में एक गरीब ब्राह्मण था। वह सदैव परेशान रहता और किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती थी। एक दिन उसके घर में एक साधु आए और बोले—
“तुम्हारी तकलीफों का कारण बृहस्पति देव का रूठना है। यदि तुम प्रत्येक गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करो, पीला व्रत रखो, तो तुम्हारे जीवन में सुख-संपत्ति आएगी।”
ब्राह्मण ने अगले गुरुवार से व्रत आरंभ कर दिया। वह स्नान करता, पीले वस्त्र पहनता, केले के पेड़ पर जल चढ़ाता और ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का जाप करता।
धीरे–धीरे उसके घर में धन आने लगा, उसके कार्य सफल होने लगे और परिवार में खुशियाँ बढ़ने लगीं। लोगों को लगा मानो उसके भाग्य ही बदल गए हों। उसने यह अनुभव पाया कि बृहस्पति देव की पूजा और केले के पेड़ का सम्मान जीवन में ज्ञान, धन, और सौभाग्य लाता है।
तभी से गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की परंपरा चल पड़ी।
5. बृहस्पति देव की आरती
आरती श्री गुरुवर की, उतारूँ शिर नाय।
दीनन की त्रिभुवनपति, हर संकट प्रभु जाय॥
पीतांबर धारी प्रभु, गजमुख वाहन सोहें।
देव-दानव सब चरणों में, विनती अपनी जोहें॥
ज्ञान स्वरूपा दयामय, भक्तन पर उपकारी।
जो जन शरण तुम्हारी आए, उसके कष्ट सपारी॥
धन वैभव विद्या दाता, मंगल करण सुहाई।
आरती श्री गुरुवर की, उतारूँ शिर नाय॥
6. पूजा के लाभ
- दांपत्य जीवन में सुख
- बाधाओं का निवारण
- शिक्षा में सफलता
- संतान सुख
- आर्थिक उन्नति
- कुंडली में बृहस्पति दोष कम होता है
- घर में सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है
4. तुलसी का पत्ता तोड़ने के नियम
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