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मोक्षदा एकादशी का आध्यात्मिक महत्व
मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी व्रत माना जाता है। यह व्रत मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना तथा भगवद्गीता के ज्ञान का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
आध्यात्मिक महत्व:
1. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग
इस एकादशी को “मोक्ष प्रदान करने वाली” कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा व भक्ति से करने पर इंसान को जन्म–मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
2. पापों का नाश
पुराणों में वर्णित है कि यह व्रत हजारों पापों को नष्ट कर आत्मा को पवित्र बनाता है। यह मन, वचन और कर्म की शुद्धि का साधन माना गया है।
3. आत्म-उन्नति और आध्यात्मिक जागृति
मोक्षदा एकादशी साधक को अपने भीतर झांकने, आत्मचिंतन करने और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने की प्रेरणा देती है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है।
4. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति
विष्णु जी को सृष्टि का पालनहार माना गया है। इस व्रत के माध्यम से भक्त विष्णु की कृपा प्राप्त कर जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की अनुभूति करता है।
5. गीता ज्ञान का महत्व
मोक्षदा एकादशी पर ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। अतः इस दिन गीता का पाठ और अध्ययन विशेष पुण्यकारी माना गया है।
गीता का संदेश—कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग—मनुष्य को धर्म, सदाचार और त्याग की ओर प्रेरित करता है।
6. पूर्वजों के उद्धार का दिन
ग्रंथों में उल्लेख है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से न केवल व्रती को बल्कि उसके पूर्वजों को भी पापों से मुक्ति मिलती है और उनका कल्याण होता है।
मोक्षदा एकादशी का आध्यात्मिक महत
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