हिंदू धर्म में बृहस्पति वार का दिन गुरु ग्रह और बृहस्पति देव (गुरु ब्रहस्पति) को समर्पित है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह, संतान, ज्ञान, सुख-समृद्धि और ग्रहदोष निवारण के लिए किया जाता है।
⭐ बृहस्पति वार व्रत विधि
1. प्रातःकाल तैयारी
- स्नान करके साफ पीले वस्त्र पहनें।
- संभव हो तो घर में हल्दी या पीले फूलों से सजावट करें।
2. पूजन सामग्री
- केले का पेड़ या बृहस्पति देव की तस्वीर
- हल्दी, चावल
- पीली मिठाई (बेसन या मोतीचूर लड्डू)
- गुड़-चना
- पीले फूल
- दीपक (घी का)
3. पूजा कैसे करें?
- भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को प्रणाम करें।
- केले के पेड़/तस्वीर पर हल्दी वाला जल चढ़ाएँ।
- घी का दीपक जलाएँ।
- पीले फूल, हल्दी-चावल और प्रसाद अर्पित करें।
- “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- गुरुवार की कथा पढ़ें या सुनें।
- पीला प्रसाद ग्रहण करें।
4. व्रत में भोजन
- हल्दी मिली हुई खिचड़ी, बेसन की रोटी, पीले फल आदि ग्रहण करें।
- कई लोग नमक न खाने का नियम भी रखते हैं।
📖 बृहस्पति वार व्रत कथा (सरल रूप में)
एक समय की बात है, एक धनी परिवार की बहू बहुत धार्मिक थी और प्रतिदिन भगवान की पूजा करती थी। उसके यहाँ धन की कमी नहीं थी, पर उसकी सास उससे जलती थी। एक दिन सास ने उसे गुरुवार का व्रत और पूजा करने से रोक दिया और कहा कि “कुछ भी कर लो, यह सब बेकार है।”
बहू ने सास की बात मान ली और गुरुवार का मान-सम्मान छोड़ दिया। परिणामस्वरूप घर में धीरे-धीरे तंगी आने लगी। धन, सुख और शांति सब गायब हो गए। परिवार में कलह बढ़ता गया।
एक दिन बहू को रास्ते में एक संत मिले। उन्होंने पूछा:
“बेटी! तुम्हारे चेहरे पर दुख क्यों है?”
बहू ने सारी बात बताई। संत ने कहा:
“तुमने गुरुवार का व्रत और पूजा छोड़ दी, इसलिए यह परेशानी आई है। यदि तुम पुनः यह व्रत श्रद्धा से करो, तो सब ठीक हो जाएगा।”
बहू ने संत की आज्ञा मानी और अगले गुरुवार से पुनः व्रत और पूजन प्रारंभ किया। धीरे-धीरे घर में सुख-समृद्धि लौट आई। धन की वृद्धि हुई, और परिवार में शांति स्थापित हो गई।
इस प्रकार गुरु देव की कृपा से उसके जीवन में सब कुछ शुभ होने लगा।
🌟 बृहस्पति वार व्रत के लाभ
✔ 1. विवाह संबंधी बाधाओं का निवारण
जिन लोगों की शादी में रुकावट आ रही हो, यह व्रत उनके लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
✔ 2. धन और समृद्धि में वृद्धि
घर में आर्थिक स्थिति सुधारती है और खुशहाली आती है।
✔ 3. संतान प्राप्ति का योग
गुरु ग्रह को संतान का कारक माना गया है।
✔ 4. शिक्षा और ज्ञान में सफलता
छात्रों के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी है।
✔ 5. गुरु ग्रह मजबूत होता है
ज्योतिष में गुरु कमजोर होने पर यह व्रत बहुत उपयोगी है।
✔ 6. पारिवारिक कलह दूर होता है
घर में सौहार्द, सम्मान और शांति आती है।
बृहस्पति वार व्रत: विधि, कथा और लाभ
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