राम–सीता विवाह पंचमी 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि
२. महत्व
- राम–सीता का विवाह
विवाह पंचमी को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। - वैवाहिक जीवन में आशीर्वाद
इस दिन राम और सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति, संयम और एकता की प्राप्ति होती है। खासकर उन लोगों के लिए जिनकी शादी में बाधा आ रही हो, यह दिन बहुत फलदायक माना जाता है। - तुलसीदास की रामचरितमानस
कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन महाकवि तुलसीदास ने अपनी रामचरितमानस का अवधी संस्करण पूरा किया था। - रिवाजों में सावधानी
कुछ स्थानों पर यह माना जाता है कि इस दिन विवाह करना उचित नहीं है क्योंकि यह दिन तीर्थ और पूजा का दिन है — विवाह संबंधी रस्मों के बजाय भक्ति को प्राथमिकता दी जाती है।
३. पूजा विधि
यहाँ विवाह पंचमी के दिन राम–सीता की पूजा कैसे करना चाहिए, उसकी एक सामान्य विधि दी है:
- स्नान और शुद्धि
- सुबह उठकर स्वच्छ पानी से स्नान करें।
- स्नान के बाद मन और शरीर को शांत करने के लिए थोड़ा ध्यान (ध्यान) करें।
- मूर्ति या चित्र स्थापना
- एक चौकी (स्थिर स्थान) पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएँ।
- वहाँ राम जी और सीता जी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- पूजा सामग्री अर्पण
- गंगाजल (या पवित्र जल) छिड़कें।
- फूल, फल, दुपट्टा / पीला कपड़ा अर्पित करें।
- धूप-दीप (अगर संभव हो तो शुभ दीया जलाएँ)।
- मिठाई (मिष्ठान) और प्रसाद अर्पण करें।
- पाठ और जाप
- विशेष उपाय
- व्रत रखने वालों के लिए, इस दिन उपवास करना लाभदायक माना जाता है।
- पूजा के बाद दान करना (गरीबों को भोजन या वस्तुएँ देना) भी शुभ फल देता है।
- पूजा के अंत में आरती करें और मनोकामनाओं की प्रार्थना करें कि राम–सीता के आशीर्वाद से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहे।
- नियम और वर्जनाएँ
- कुछ धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन ब्याह (विवाह संस्कार) करना वर्जित है क्योंकि यह दिन पूजा-उपवास और भक्ति को समर्पित है।
- पूजा करते समय भक्ति भाव होना चाहिए; यह सिर्फ रस्म भर न बन जाए, बल्कि आत्मा-समर्पण का दिन हो।
- राम–सीता विवाह पंचमी 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि
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राम विवाह अनुष्ठान: विधि और महत्व
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राम–सीता विवाह पंचमी 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि
राम–सीता विवाह पंचमी 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि
