सूर्य देव को जल देते समय क्या प्रयोग करें और क्या न करें
सूर्य अर्घ्य देना केवल पूजा नहीं है, यह विज्ञान, शुद्धता, ऊर्जा और अनुशासन का सम्मिलित अभ्यास है। अर्घ्य के दौरान उपयोग की गई वस्तुएँ, दिशा, स्थिति और भावना—सबका गहरा अर्थ है। नीचे विस्तृत मार्गदर्शन दिया गया है।
सूर्य देव को जल देते समय क्या प्रयोग करें
1. ताँबे का लोटा / कलश
- सूर्य अर्घ्य के लिए ताँबे का पात्र सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
- ताँबा सूर्य तत्व का धातु है—यह जल को ऊर्जावान और शुद्ध करता है।
क्यों उपयोग करें?
- ताँबा जल में अल्ट्रा-पॉजिटिव माइक्रो आयन छोड़ता है, जो शरीर में पहुँचकर पाचन, त्वचा और मानसिक स्वास्थ्य को लाभ देते हैं।
2. स्वच्छ जल (सामान्य या गंगाजल मिश्रित)
- जल साफ, गंधरहित और शुद्ध होना चाहिए।
- अच्छी परंपरा है कि सामान्य जल में कुछ बूंद गंगाजल मिलाया जाए।
क्यों उपयोग करें?
- गंगाजल जल को पवित्र, ऊर्जावान और स्थिर बनाता है।
3. लाल पुष्प
- सूर्य देव राजसिक और तेज-तत्व से जुड़े हैं, इसलिए लाल रंग उनके प्रिय हैं।
उपयोग किनका करें?
- लाल कनेर
- लाल गुड़हल
- लाल गुलाब
इनमें सूर्य-ऊर्जा को आकर्षित करने की क्षमता मानी गई है।
4. अक्षत (चावल)
- चावल संपूर्णता और समर्पण के प्रतीक हैं।
- बिना टूटे हुए सफेद चावलों का प्रयोग सर्वोत्तम है।
5. रोली या हल्दी
- एक चुटकी रोली या हल्दी जल में मिलाना शुभ माना जाता है।
- यह सूर्य तत्व को अधिक सक्रिय करता है।
6. मंत्र
अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का प्रयोग श्रेष्ठ है:
(1) “ॐ घृणि: सूर्याय नमः”
(सबसे लोकप्रिय और सरल मंत्र)
(2) “ॐ सूर्याय नमः”
(3) “ॐ आदित्याय नमः”
7. आसन
- ऊन, कुशा, कपास या लाल कपड़े का आसन उत्तम है।
क्यों?
- यह धरती की नकारात्मकता को शरीर में प्रवेश नहीं करने देता।
8. पूर्व दिशा की ओर मुख
- हमेशा पूर्व दिशा में मुख करके ही अर्घ्य दें।
क्यों?
- पूर्व दिशा सूर्य की उदीति ऊर्जा का मार्ग है—यही सबसे पवित्र माना जाता है।
सूर्य देव को जल देते समय क्या न करें
1. प्लास्टिक का लोटा
- प्लास्टिक तमसिक माना गया है, अशुद्ध भी।
- यह ऊर्जा को अवरुद्ध करता है और शास्त्रों में वर्जित है।
2. काला या गंदा जल
- गंदा या मटमैला जल अर्घ्य में अशुभ माना गया है।
- अशुद्ध जल मन और ऊर्जा दोनों को प्रभावित करता है।
3. टूटे-फूटे चावल नहीं
- टूटे हुए या काले पड़े चावल उपयोग न करें।
- यह अपूर्णता का सूचक है।
4. पैर में चप्पल पहनकर अर्घ्य न दें
- यह सूर्य आराधना में अनादर माना जाता है।
- ऊर्जात्मक रूप से भी यह ग्रह शक्ति को कम करता है।
5. सूर्य प्रकट होने से पहले अर्घ्य न दें
- अंधेरे में जल चढ़ाना शास्त्रविरुद्ध है।
- जब तक सूर्य दिखाई न दें या प्रकाश न फैले, अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
6. कुटिल, क्रोधित, या नकारात्मक मन से अर्घ्य न दें
- सूर्य आराधना सत्त्विक मानसिक स्थिति में ही फल देती है।
- क्रोध, तनाव, घबराहट आदि में ऊर्जा अवशोषण कमजोर हो जाता है।
7. लोहे या एल्युमिनियम के पात्र न उपयोग करें
- ये धातुएँ ऊर्जा को अवशोषित नहीं कर पातीं।
- शास्त्रों में सूर्य पूजा से असंगत बताया गया है।
8. जल सीधे सूर्यपर न फेंकें
अर्घ्य देते समय:
- जल की पतली धारा आँखों की ऊँचाई से हो
- सूर्य के सामने एक दिव्य चक्र (circle of light) बनना चाहिए
- जल को दो हाथों से अर्पित करें
⭐ महत्वपूर्ण सावधानियाँ (Precautions)
- पेट खाली या हल्का होना चाहिए
- अर्घ्य देते समय मोबाइल न चलाएँ
- मन में कृतज्ञता और शांति हो
- जल अर्पण करते समय सूर्य की जगह आँख पर जोर न दें
- जल पैरों पर जाकर न लगे—एक स्थान पर बहने दें
🌞 सूर्य अर्घ्य से क्या लाभ होते हैं? (संक्षेप में)
- ऊर्जा, आत्मविश्वास, तेज, पाचन शक्ति और त्वचा को लाभ
- रक्तचाप, तनाव, अवसाद में राहत
- नेत्रों के लिए प्राकृतिक प्रकाश-थेरेपी
- ग्रहों में सूर्य मजबूत होता है (विशेषकर कमजोर सूर्य वालों के लिए प्रभावी)
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सूर्य देव को जल देते समय क्या प्रयोग करें और क्या न करें
सूर्य देव को जल देते समय क्या प्रयोग करें और क्या न करें
