भैरव अष्टमी पर ऐसे करें पूजा, मिलेगा अपार सुख और समृद्धि
भैरव अष्टमी 2025 की तिथि
तिथि: 12 नवंबर 2025, बुधवार
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 12 नवंबर, रात्रि 11:40 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 13 नवंबर, रात्रि 10:10 बजे
इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान भैरव की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।
भैरव अष्टमी पूजा विधि
- स्नान व संकल्प:
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। गंगा जल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है।
इसके बाद भगवान भैरव की पूजा का संकल्प लें – “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जप करते हुए पूजा का आरंभ करें। - पूजा स्थान की तैयारी:
भगवान भैरव की प्रतिमा या चित्र को लाल कपड़े पर स्थापित करें। पास में भगवान शिव, माता पार्वती और उनके वाहन श्वान (कुत्ते) की भी पूजा करें। - विधिवत पूजा सामग्री:
- लाल या काले फूल
- दीपक (सरसों के तेल का)
- धूप, अक्षत, चंदन, बेलपत्र
- गुड़, नारियल, दही, और भोग में पूरी-हलवा
- काले तिल और काले वस्त्र
- भैरव मंत्र जप:
पूजा के समय भगवान भैरव के मंत्र का जप करें: “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ स्वाहा॥” या “ॐ कालभैरवाय नमः॥” इस मंत्र के 108 बार जप से नकारात्मकता समाप्त होती है। - भोग अर्पण और आरती:
पूजा के पश्चात भगवान भैरव को गुड़, दूध, दही और तेल के दीपक का भोग लगाएं।
फिर भैरव आरती करें — “जय जय भैरव देवा…” का गान करें। - कुत्ते को भोजन कराएं:
भैरव देव के वाहन श्वान को मीठी रोटी, दूध या पूरी खिलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे भैरव देव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
भैरव अष्टमी व्रत का महत्व
- इस व्रत से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- काल भय (असमय मृत्यु) का डर दूर होता है।
- व्यक्ति को धन, समृद्धि, और यश की प्राप्ति होती है।
- व्यवसाय या नौकरी में रुकावटें दूर होती हैं।
- जिनके जीवन में भूत-प्रेत या ग्रहदोष का प्रभाव है, उनके लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक होती है।
भैरव अष्टमी पर क्या करें और क्या न करें
करें:
- भगवान शिव और भैरव की पूजा अवश्य करें।
- कुत्तों को भोजन और दया भाव से व्यवहार करें।
- रात्रि में तेल का दीपक जलाकर “काल भैरव स्तोत्र” का पाठ करें।
न करें:
- किसी का अपमान, झूठ या छल न करें।
- शराब, मांस या नकारात्मक कर्मों से दूर रहें।
- किसी पशु-पक्षी को कष्ट न पहुंचाएं।
भैरव अष्टमी के लाभ
- घर में शांति और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
- व्यक्ति को रोग, भय और दुखों से मुक्ति मिलती है।
- भैरव देव की कृपा से जीवन में स्थिरता और सफलता प्राप्त होती है।
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