अक्षय नवमी पूजा विधि
अक्षय नवमी हिन्दू धर्म में विशेष रूप से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से व्रत और पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। नीचे अक्षय नवमी पूजा विधि का विस्तृत विवरण दिया गया है:
अक्षय नवमी पूजा विधि
1. तैयारी:
- दिन के लिए साफ और स्वच्छ स्थान तैयार करें।
- लाल या पीले रंग का वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान पर लाल वस्त्र का आसन बिछाएं।
- पूजा की सामग्री इकट्ठा करें:
- दीपक और तेल/घी
- अक्षत (अन्न), फूल, रोली, कुमकुम
- फल, मिठाई और जल
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर
2. स्नान और शुद्धि:
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को साफ करें और दीपक जलाएं।
3. पूजा की विधि:
- ध्यान और प्रार्थना:
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
- मन में शुभ और सकारात्मक विचार रखें।
- संस्कार और मंत्र:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- माता लक्ष्मी के लिए “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का 11 या 108 बार जप किया जा सकता है।
- फूल और अक्षत अर्पण:
- भगवान और माता को फूल अर्पित करें।
- अक्षत (चावल) अर्पित करके समृद्धि की प्रार्थना करें।
- दीप प्रज्वलन:
- दीपक जलाएं और उसे भगवान के सामने रखें।
- “दीपक ज्योति से अज्ञान का नाश और ज्ञान का प्रकाश बढ़े” ऐसी प्रार्थना करें।
- फल और प्रसाद अर्पण:
- फल और मिठाई अर्पित करें।
- पूजन के बाद परिवार और मित्रों में प्रसाद वितरण करें।
4. व्रत और विशेष उपाय:
- अक्षय नवमी के दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं।
- व्रत में फलाहार या निर्जला व्रत का पालन किया जा सकता है।
- इस दिन सोन, चांदी या धातु का दान करना विशेष फलदायक माना जाता है।
5. शुभ मुहूर्त:
- अक्षय नवमी की पूजा सुबह 5:00 बजे से 11:00 बजे तक करना शुभ माना जाता है।
- दिनभर भगवान का ध्यान करते हुए सकारात्मक कर्म करें।
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