छठी मैया के पांच सबसे सुंदर फल अर्पित करने से होगी सारी मनोकामना पूर्ण
1. केला
महत्व:
केला पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा में केले का गुच्छा विशेष रूप से अर्पित किया जाता है। यह सूर्य देव को प्रिय फल है और इसे चढ़ाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
फलस्वरूप:
धन-धान्य में वृद्धि होती है और परिवार में किसी भी प्रकार की आर्थिक तंगी नहीं रहती।
2. नारियल
महत्व:
नारियल को “शुद्धता” और “समर्पण” का प्रतीक कहा गया है। इसे छठी मैया को अर्पित करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
फलस्वरूप:
मन की शांति, मानसिक स्थिरता और घर-परिवार में खुशहाली आती है।
3. सेब
महत्व:
सेब स्वास्थ्य, सौंदर्य और दीर्घायु का प्रतीक माना गया है। छठी मैया को लाल सेब अर्पित करने से परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
फलस्वरूप:
रोग-नाश होता है, जीवन में शक्ति और उत्साह का संचार होता है।
4. संतरा
महत्व:
संतरा सूर्य का प्रतीक फल माना जाता है क्योंकि इसका रंग सूर्य जैसा होता है। इसे छठ पूजा में चढ़ाने से जीवन में ऊर्जा, चमक और सकारात्मकता आती है।
फलस्वरूप:
कठिनाइयाँ दूर होती हैं और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
5. नारंगी या मीठा नींबू
महत्व:
यह फल पवित्रता और ताजगी का प्रतीक है। छठी मैया को अर्पित करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है।
फलस्वरूप:
रोगमुक्ति, मानसिक शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
विशेष महत्व:
छठ पूजा में इन फलों को बाँस की टोकरी या डलिया में सजा कर नदी या तालाब किनारे अर्घ्य के समय अर्पित किया जाता है। पूजा के दौरान इन फलों की शुद्धता और प्राकृतिकता का ध्यान रखना आवश्यक है — किसी भी कटे या खराब फल का उपयोग नहीं किया जाता।
छठी मैया को ये पाँच फल अर्पित करते समय श्रद्धा, पवित्र मन और संकल्प सबसे महत्वपूर्ण माने गए हैं। मान्यता है कि जो भक्त पूरे मन से छठी मैया की आराधना करता है और इन पवित्र फलों को समर्पित करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं — चाहे संतान सुख की इच्छा हो, स्वास्थ्य, समृद्धि या सफलता की।
निष्कर्ष:
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आस्था का पर्व है। केले, नारियल, सेब, संतरा और मौसमी जैसे पवित्र फलों को छठी मैया को अर्पित करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का संचार होता है।
जय छठी मैया!
छठी मैया को फल अर्पित करने की विधि
1. स्नान और शुद्धि:
व्रतधारी सबसे पहले सूर्योदय से पहले स्नान करें। घर और पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें। शुद्धता और सात्विकता छठ पूजा का सबसे बड़ा नियम है।
2. टोकरी सजाना:
एक बाँस की टोकरी या डलिया लें और उसमें पाँच प्रमुख फल रखें —
केला, नारियल, सेब, संतरा, मौसमी (या अन्य मौसमी फल)।
इनके साथ गन्ना, ठेकुआ, दीया, दीपक, सुपारी, अक्षत और पूजा सामग्री भी रखें।
3. संध्या अर्घ्य (पहला दिन):
सूर्यास्त के समय नदी या तालाब किनारे जाकर दीपक जलाएँ। फिर छठी मैया और अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दें।
इस समय फल, ठेकुआ और प्रसाद अर्पित करें।
प्रार्थना करें —
“हे छठी मैया, हमारे परिवार को स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद दें।”
4. उषा अर्घ्य (दूसरा दिन):
अगली सुबह सूर्योदय से पहले पुनः घाट पर जाएँ। जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
फलों की थाली, ठेकुआ, नारियल और दीपक अर्पित करें।
सूर्य देव से ऊर्जा, स्वास्थ्य और सफलता का वरदान माँगें।
5. व्रत का पारण:
अर्घ्य के बाद घर लौटकर व्रत का पारण करें। पहले छठी मैया का प्रसाद ग्रहण करें और फिर परिवार व रिश्तेदारों में बाँटें।
छठी मैया को पाँच फल अर्पित करने के लाभ
1. स्वास्थ्य और दीर्घायु का वरदान
सेब, संतरा, मौसमी जैसे फलों में जीवन शक्ति का प्रतीक माना जाता है। छठी मैया को ये फल अर्पित करने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य, रोगमुक्त जीवन और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
2. संतान सुख और परिवारिक उन्नति
छठी मैया को विशेष रूप से संतान की देवी कहा गया है। केले और नारियल का अर्पण करने से संतान की रक्षा होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
3. आर्थिक उन्नति और समृद्धि
छठ पूजा में फल अर्पित करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। कहा गया है —
“छठी मैया प्रसन्न हो जाएँ तो जीवन में कभी अभाव नहीं रहता।”
फल अर्पण करने से धन, वैभव और व्यापार में प्रगति होती है।
4. मानसिक शांति और सकारात्मकता
संतरा और मौसमी जैसे फल छठ पूजा में ऊर्जा का प्रतीक हैं। इन्हें अर्पित करने से मन में शांति, आत्मबल और सकारात्मक विचारों का संचार होता है।
5. पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति
छठ पूजा अत्यंत पवित्र व्रत है। कहा गया है कि व्रत करने और पवित्र फल अर्पित करने से पिछले जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और आत्मा शुद्ध होती है।
महत्वपूर्ण नियम
पूजा में प्रयुक्त वस्तुएँ नदी या तालाब में न फेंकें, उन्हें उचित स्थान पर रखें।
फल हमेशा ताजे, बिना कटे और शुद्ध होने चाहिए।
व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें, लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
किसी से कटु वचन न बोलें, मन और वचन से शुद्ध रहें।
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