
संतान सुख के लिए अहोई अष्टमी का व्रत क्यों है खास?
अहोई अष्टमी व्रत हिंदू धर्म में माताओं द्वारा संतान की लंबी आयु, सुख, समृद्धि और रक्षा के लिए रखा जाने वाला अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। विशेष रूप से वे महिलाएं यह व्रत करती हैं जिनकी संतान है या जो संतान प्राप्ति की कामना करती हैं।
आइए जानें कि संतान सुख के लिए अहोई अष्टमी व्रत इतना खास क्यों माना जाता है —
1. अहोई माता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अहोई माता उन माताओं की रक्षा करती हैं जिनके बच्चे छोटे हैं या जो संतान सुख से वंचित हैं। अहोई माता की पूजा करने से स्त्रियों को संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है।
2. संतान की दीर्घायु और समृद्धि का वरदान
इस व्रत को रखने से संतान की उम्र लंबी होती है, वह निरोग और सुखी रहती है। माता अहोई से प्रार्थना की जाती है कि उनकी संतान पर कोई संकट न आए।
3. माता पार्वती का रूप मानी जाती हैं अहोई माता
पौराणिक कथाओं के अनुसार अहोई माता माता पार्वती का ही स्वरूप हैं। जैसे माता पार्वती ने अपने पुत्रों गणेश और कार्तिकेय की रक्षा के लिए तप किया था, वैसे ही यह व्रत माताओं के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
4. अहोई अष्टमी व्रत की कथा का संदेश
कथा के अनुसार एक बार एक महिला ने गलती से सियार के बच्चे को मार दिया, जिससे उसे पुत्र-हानि का दुःख झेलना पड़ा। बाद में जब उसने अहोई माता का व्रत किया, तो उसे फिर से संतान प्राप्त हुई। यह कथा बताती है कि यह व्रत पापों से मुक्ति और संतान की प्राप्ति दोनों का मार्ग है।
5. उपवास और पूजा से मातृत्व का आशीर्वाद
व्रतधारी महिला दिनभर निर्जला उपवास रखती है और शाम को अहोई माता की चित्र या प्रतिमा की पूजा करती है। सायंकाल चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। यह व्रत मातृत्व के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
6. परिवार में खुशहाली और संतोष का व्रत
अहोई अष्टमी केवल संतान के लिए ही नहीं बल्कि पूरे परिवार की शांति, समृद्धि और सुख के लिए भी फलदायी होती है। यह व्रत माताओं के मनोबल और परिवार के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है।
निष्कर्ष
अहोई अष्टमी व्रत मातृत्व, आस्था और परिवार के प्रति प्रेम का अद्भुत संगम है। यह व्रत न केवल संतान की रक्षा करता है बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी देता है।
अहोई अष्टमी का व्रत क्यों किया जाता है? पूरी कथा और महत्व