
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर की साफ-सफाई करें और व्रत का संकल्प लें।
- व्रत संकल्प
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्मरण कर व्रत का संकल्प करें।
- संकल्प में यह प्रार्थना करें कि यह व्रत मेरे जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करे।
- पूजा स्थान तैयार करें
- एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ।
- उस पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रमा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
- पूजन सामग्री
- धूप, दीपक, अक्षत, रोली, चंदन, फूल, प्रसाद (खीर), पान-सुपारी, कलश, जल का पात्र, शहद, दूध, गंगाजल।
- पूजन विधि
- दीपक जलाकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करें (जल में दूध और पुष्प डालकर अर्घ्य दें)।
- भगवान को खीर, पान, सुपारी, मिठाई का भोग लगाएँ।
- चंद्रमा का ध्यान करें और मंत्र जपें:
“ॐ चंद्राय नमः” या “ॐ सोमाय नमः”।
- रात्रि पूजन (विशेष महत्व)
- रात के समय खीर (दूध-चावल से बनी) तैयार करें।
- खीर को चांदी, मिट्टी या कांच के बर्तन में रखकर खुले आकाश तले चंद्रमा की चांदनी में रखें।
- माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर अमृतमयी हो जाती है।
- अगले दिन खीर ग्रहण करें
- सुबह स्नान कर चंद्रमा को नमन करने के बाद वही खीर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
- परिवारजन और जरूरतमंदों को भी यह खीर बांटें।
शरद पूर्णिमा व्रत का महत्व
- माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होता है, जो रोगों को दूर करता है और स्वास्थ्य लाभ देता है।
- माता लक्ष्मी इस दिन रात्रि में पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो जागरण करते हुए उनका पूजन करता है, उसे धन-धान्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
- भगवान श्रीकृष्ण ने इसी रात को वृंदावन में गोपियों के साथ महारास रचाया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
- यह व्रत करने से धन, सुख, स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा व्रत के लाभ और महत्व
शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। इस दिन की चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होने का विश्वास है। इस कारण इस दिन किया गया व्रत और पूजन विशेष फलदायी माना जाता है।
शरद पूर्णिमा व्रत का महत्व
- धन-समृद्धि की प्राप्ति
- मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो साधक जागरण करके पूजा करता है, उस पर उनकी विशेष कृपा होती है।
- चंद्रमा का अमृत बरसना
- शास्त्रों में वर्णित है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चांदनी में अमृत तत्व होता है, जो शरीर को रोगों से मुक्त करने वाला और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है।
- आध्यात्मिक महत्व
- इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रमा का पूजन करके मनुष्य पापों से मुक्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- धार्मिक मान्यता
- शरद पूर्णिमा की रात को श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महारास किया था, इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
- कृषि और जीवन से जुड़ा महत्व
- इस दिन कोजागरी व्रत रखने की परंपरा है, जो “कौन जाग रहा है?” (को जागर्ति) से उत्पन्न हुआ है। इसे किसान वर्ग भी विशेष रूप से मानता है क्योंकि यह ऋतु परिवर्तन का समय होता है।
शरद पूर्णिमा व्रत के लाभ
आध्यात्मिक उन्नति – इस दिन का व्रत करने से मनुष्य की भक्ति और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
आर्थिक उन्नति – व्रत करने और जागरण करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
आरोग्य और स्वास्थ्य लाभ – शरद पूर्णिमा की रात चांदनी में रखी खीर का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से राहत मिलती है।
मानसिक शांति – चंद्रमा की शीतल किरणें मन को शांति और सुकून प्रदान करती हैं।
दीर्घायु – व्रत करने से दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
पारिवारिक सुख-शांति – परिवार में आपसी प्रेम, सौहार्द और खुशहाली बनी रहती है।