
पापांकुशा एकादशी व्रत, विधि
व्रत विधि
- प्रातः काल स्नान एवं संकल्प
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- शुद्ध वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें – “मैं आज पापांकुशा एकादशी का व्रत करूँगा और भगवान पद्मनाभ विष्णु की पूजा करूँगा।”
- भगवान विष्णु की पूजा
- घर या मंदिर में भगवान श्रीविष्णु की प्रतिमा/चित्र को स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्ध करें और पीले फूल, तुलसीदल, धूप, दीप, चंदन, अक्षत, नैवेद्य अर्पित करें।
- पीले वस्त्र, पीले पुष्प और तुलसी भगवान को विशेष प्रिय हैं।
- व्रत और उपवास
- इस दिन निर्जला उपवास या फलाहार का नियम सर्वोत्तम है।
- अन्न, लहसुन-प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन वर्जित है।
- रात्रि जागरण करना उत्तम माना गया है।
- भजन और पाठ
- विष्णु सहस्रनाम, विष्णु स्तुति, भगवद्गीता या रामायण पाठ करना शुभ है।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- कथा एवं दान
- पापांकुशा एकादशी की कथा श्रवण करें।
- ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
- पारण (व्रत खोलना)
- द्वादशी तिथि को प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु को भोग अर्पित कर व्रत का पारण करें।
- फलाहार या अन्न ग्रहण करने से पहले किसी जरूरतमंद को भोजन कराना उत्तम माना गया है।
विशेष महत्व
- इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है।
- मृत्युपरांत भी व्रती को विष्णु धाम की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत पूर्वजों को भी मोक्ष दिलाने वाला माना गया है।
पापांकुशा एकादशी का महत्व
- पापों का नाश
- इस व्रत से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- व्यक्ति पुण्य का अधिकारी बनता है।
- मोक्ष प्राप्ति
- इस व्रत को करने से मृत्यु के बाद विष्णुधाम (वैष्णव लोक) की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु स्वयं अपने भक्त को गले लगाकर धाम में ले जाते हैं।
- पूर्वजों की मुक्ति
- व्रती द्वारा किए गए दान और पुण्य से पितरों को भी शांति और मोक्ष मिलता है।
- धन, ऐश्वर्य और समृद्धि
- व्रती के जीवन में दरिद्रता, दुःख और रोग समाप्त होते हैं।
- घर में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
- आध्यात्मिक लाभ
- इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से भक्त को अपार भक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- व्यक्ति के मन में शांति और स्थिरता आती है।
- अन्य सभी व्रतों से श्रेष्ठ
- शास्त्रों में कहा गया है कि पापांकुशा एकादशी व्रत का पुण्य गंगा स्नान, दान, यज्ञ और हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक फलदायी है।
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