
दुर्गा विसर्जन शुभ मुहूर्त 2025
नीचे 2025 में दुर्गा विसर्जन (विजयादशमी / दशमी तिथि) के शुभ मुहूर्त, तिथि, अनुष्ठान और महत्व की विस्तृत जानकारी दी गई है:
2025 में दुर्गा विसर्जन – तिथि और शुभ मुहूर्त
- दुर्गा विसर्जन की तिथि: 2 अक्टूबर 2025 (विजयादशमी / दशमी)
- विसर्जन का शुभ मुहूर्त: 06:15 बजे से 08:37 बजे तक (समय अवधि लगभग 2 घंटे 22 मिनट)
- पंचांग के अनुसार, कुछ स्रोतों में मुहूर्त 06:14:14 से 08:36:42 तक भी बताया गया है।
ध्यान दें: ये समय नई दिल्ली और सामान्य संदर्भ के लिए है; आपके स्थान (जैसे पटना, बिहार) के अनुसार स्थानीय पंचांग देखकर समय थोड़ा अलग हो सकता है।
महत्व और अनुष्ठान
महत्व
- दुर्गा विसर्जन नवरात्रि पर्व का समापन है। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमाएं जल, नदी, तालाब या अन्य पवित्र पानी में विसर्जित की जाती हैं, यह प्रतीक है कि देवी अपनी शक्ति लेकर वापस चली जाती हैं।
- इस दिन व्रत का अंत (व्रत-पुराण / व्रत-भोजन) किया जाता है।
- यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि देवी ने महिषासुर का वध किया था
अनुष्ठान एवं विधि
- प्रवचन / स्तोत्र पाठ
विसर्जन से पहले दुर्गा स्तोत्र, दुर्गा साप (जैसे “ॐ दुर्गायै नमः”) आदि का पाठ करना शुभ माना जाता है। - भोग अर्पण
विसर्जन से पहले माँ को भोग (खीर, मिठाई, फल आदि) अर्पित करना चाहिए। - सिंदूर / अभिषेक
कुछ स्थानों पर विसर्जन से पहले देवी की प्रतिमा पर सिंदूर अर्पित करना या हल्का अभिषेक करना विधिवत माना जाता है। - विसर्जन विधि
प्रतिमा को पहले जल से स्नान कराना (यदि संभव हो) और फिर धीरे-धीरे पानी में प्रवाहित करना। ध्यान रहे कि प्रतिमा को नुकसान न पहुँचे। - व्रत-परान
विसर्जन के बाद व्रत-भोजन किया जाता है, व्रत आज इस दिन समाप्त माना जाता है।
दुर्गा विसर्जन की कथा
नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। शारदीय नवरात्रि का समापन विजयादशमी को होता है। इस दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
कथा का सार
पुराणों में वर्णन है कि अत्याचारी महिषासुर राक्षस ने कठोर तप करके ब्रह्मा जी से वरदान पाया था कि कोई भी देवता या दानव उसे परास्त नहीं कर सकेगा। इस वरदान के बाद महिषासुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर इंद्र सहित सभी देवताओं को परास्त कर दिया।
तब देवताओं ने मिलकर एक दिव्य स्त्री शक्ति का निर्माण किया — वही थीं माँ दुर्गा। माँ दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का वध करके देवताओं और मानव जगत को आतंक से मुक्ति दिलाई।
इस विजय की स्मृति में दशमी तिथि को विजयादशमी और माँ दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन का पर्व मनाया जाता है।
विसर्जन का महत्व
- यह माँ को विदाई देने का पर्व है, जिसमें भक्त कहते हैं कि “माँ फिर से अगले वर्ष आना और आशीर्वाद देना।”
- प्रतीकात्मक रूप से विसर्जन यह दर्शाता है कि शक्ति निराकार है, स्थायी नहीं है, वह पुनः अपनी दिव्य लोक में लौट जाती हैं।
- यह बुराई पर अच्छाई की जीत और जीवन में सकारात्मकता का संदेश देता है