
शारदीय नवरात्र 2025 सप्तमी अष्टमी कब है
शारदीय नवरात्र 2025 – सामान्य तिथियाँ
- शारदीय नवरात्र प्रारंभ: 22 सितंबर 2025 (प्रथमा तिथि, शुक्ल पक्ष, आश्विन मास)
- समाप्ति / विजयदशमी: 2 अक्टूबर 2025
सप्तमी (7वाँ दिन)
- तारीख: 28 सितंबर 2025, रविवार
- तिथि: शुक्ल पक्ष की सप्तमी, आश्विन मास
- पूजा: इस दिन माँ कालरात्रि की जाती है।
- वर्ण / रंग: नारंगी रंग
अष्टमी (8वाँ दिन)
- तारीख: 29 सितंबर 2025, सोमवार
- तिथि: शुक्ल पक्ष की अष्टमी, आश्विन मास
- पूजा: अष्टमी को मुख्यत: माँ महागौरी की पूजा होती है; साथ ही “Durga Ashtami”, “” आदि अनुष्ठान।
- विशेष मुहूर्त (“Sandhi Puja”): शाम को “Sandhi Puja” का मुहूर्त है, जो शुरू होगा लगभग 5:42 PM और समाप्त होगा लगभग 6:30 PM
- वर्ण / रंग: पेacock green या मयूर हरित (Peacock Green) रंग इस दिन शुभ माना गया है
सप्तमी (माँ कालरात्रि पूजा) – 28 सितंबर 2025
- नकारात्मक शक्तियों का नाश – इस दिन माँ कालरात्रि की उपासना करने से भय, शत्रु और बुरे ग्रह दोष दूर होते हैं।
- साहस और शक्ति – साधक को अदम्य साहस, आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।
- रोग मुक्ति – स्वास्थ्य संबंधी कष्टों में सुधार होता है और रोग दूर होने का विश्वास है।
- आध्यात्मिक प्रगति – साधना और मंत्र जाप करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती है और साधक को दिव्य अनुभूति होती है।
अष्टमी (माँ महागौरी पूजा / महाअष्टमी) – 29 सितंबर 2025
- मनोकामना पूर्ति – माँ महागौरी की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण होती है।
- वैवाहिक सुख – कन्या और विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- धन-समृद्धि – अष्टमी पर पूजन और हवन करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है।
- पुण्य लाभ – इस दिन कन्या पूजन (कन्या भोज) का विशेष महत्व है। इससे माँ दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है।
- पापों का नाश – महाअष्टमी के व्रत और पूजन से पिछले कर्मों के दोष मिटते हैं और शुभ फल मिलता है।
सप्तमी पूजा (28 सितंबर 2025 – माँ कालरात्रि) के लाभ
- भय से मुक्ति – माँ कालरात्रि की आराधना से शत्रु, भय, भूत-प्रेत तथा नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
- साहस और शक्ति प्राप्ति – जीवन में आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- रोगों से रक्षा – सप्तमी पूजा से दीर्घकालिक रोग, मानसिक तनाव और शारीरिक कमजोरी दूर होने की मान्यता है।
- कर्म में सफलता – कार्यक्षेत्र में अड़चनें समाप्त होकर सफलता प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति – साधना और भक्ति के मार्ग में तेजी से प्रगति होती है।
- ग्रह दोष शांति – विशेष रूप से शनि व राहु के कष्ट कम करने में यह दिन अत्यंत शुभ है।
अष्टमी पूजा (29 सितंबर 2025 – माँ महागौरी) के लाभ
- पवित्रता और शांति – महागौरी की पूजा से मन, वाणी और कर्म शुद्ध होते हैं।
- विवाह और संतान सुख – विवाह में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं तथा संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- समृद्धि और ऐश्वर्य – घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- स्त्रियों के लिए विशेष फल – इस दिन की पूजा से सौभाग्य और दीर्घायु पति का आशीर्वाद मिलता है।
- कन्या पूजन का महत्त्व – अष्टमी पर कन्याओं की पूजा और भोग लगाने से माँ दुर्गा अति प्रसन्न होती हैं।
- धन लाभ और संकट निवारण – जीवन की कठिनाइयाँ दूर होकर धन-धान्य की वृद्धि होती है।
समग्र लाभ
- सप्तमी और अष्टमी पर विधि-विधान से व्रत–पूजन करने से साहस और शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि, तथा भौतिक और आध्यात्मिक सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
- इन दिनों की साधना से नौ ग्रहों की पीड़ा शांत होती है और जीवन में आनंद व संतुलन आता है
सप्तमी का महत्व (माँ कालरात्रि – 28 सितंबर 2025)
- अंधकार का नाश – माँ कालरात्रि की पूजा से जीवन के अंधकार, भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- शत्रु-विनाश – इस दिन साधना करने वाले भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं।
- आध्यात्मिक शक्ति – सप्तमी का दिन साधना और तंत्र-विद्या के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- साहस और धैर्य – कालरात्रि का स्मरण करने से जीवन में साहस, धैर्य और आत्मबल का विकास होता है।
- रोग निवारण – सप्तमी पर पूजा से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
अष्टमी का महत्व (माँ महागौरी – 29 सितंबर 2025)
- पवित्रता और शांति – महागौरी की उपासना से तन, मन और आत्मा शुद्ध होते हैं।
- अष्टमी और कन्या पूजन – इस दिन कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराना और उपहार देना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- विवाह और परिवारिक सुख – महागौरी की कृपा से विवाह, संतान और दांपत्य जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
- धन और ऐश्वर्य – अष्टमी पर माँ महागौरी की आराधना से घर में समृद्धि और लक्ष्मी का आगमन होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति – इस दिन की पूजा से भक्त को सांसारिक बंधनों से मुक्ति और परम शांति का अनुभव मिलता है।
समग्र महत्व
- सप्तमी और अष्टमी को नवरात्रि के सबसे शक्तिशाली दिन माना जाता है।
- सप्तमी पर साधना से साहस और सुरक्षा प्राप्त होती है, जबकि अष्टमी पर पूजा से सौभाग्य और समृद्धि मिलती है।
- अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का महत्व सबसे अधिक है, इसे नवरात्र का मुख्य अनुष्ठान कहा गया है।
शारदीय नवरात्र प्रारंभ: माता रानी की उपासना से लाभ
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