
सोमवार व्रत विधि: सोमवार व्रत विधि:
हनुमान जी, जिन्हें “अंजनीपुत्र” और “मारुति नंदन” के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में भगवान शिव के 11वें रुद्र अवतार के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह मान्यता प्राचीन ग्रंथों, पुराणों और रामायण में वर्णित कथा-प्रसंगों से जुड़ी हुई है। हनुमान जी का शिव से गहरा संबंध है |
प्रमुख मान्यताएँ और प्रमाण:
- भगवान शिव का अवतार:
- यह कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ने धरती पर राम के रूप में अवतार लिया, तो उनकी सहायता के लिए भगवान शिव ने हनुमान के रूप में अवतार लिया। शिव के रुद्र रूप की गिनती में हनुमान 11वें स्थान पर आते हैं।
- “रुद्र” शब्द का अर्थ है शिव का उग्र और शक्तिशाली रूप, जो दुष्टों का नाश करता है और भक्तों की रक्षा करता है। हनुमान जी में यह सभी गुण प्रकट होते हैं।
- पुराणों में उल्लेख
- शिव पुराण: इस ग्रंथ में उल्लेख है कि हनुमान भगवान शिव के रुद्र रूप का अवतार हैं। इसमें शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए यह बताया गया है कि उन्होंने राम की सहायता के लिए हनुमान का रूप धारण किया।
- स्कंद पुराण: इसमें भी हनुमान को रुद्र का अवतार माना गया है और उनकी रामभक्ति की महिमा का वर्णन है।
- वाल्मीकि रामायण: रामायण के अनेक प्रसंगों में हनुमान के अद्वितीय पराक्रम
- जन्म कथा:
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म केसरी और अंजना के पुत्र के रूप में हुआ था। अंजना एक अप्सरा थीं, जिन्हें एक श्राप के कारण वानर योनि में जन्म लेना पड़ा। उन्होंने शिव की घोर तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें एक दिव्य पुत्र प्रदान करने का वरदान दिया।
- जब अंजना पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कर रही थीं, तब भगवान शिव ने अपने 11वें रुद्र रूप से उनके गर्भ में प्रवेश किया,