बृहस्पति वार व्रत में केले के पेड़ की पूजा क्यों करेंवार
बृहस्पतिवार वार व्रत में केले के पेड़ की पूजा का महत्व 🌳🙏
बृहस्पतिवार को केले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा शास्त्रों में बताई गई है। इसके पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कारण हैं:
1. बृहस्पति देव का प्रिय वृक्ष
केला वृक्ष को बृहस्पति देव का प्रिय माना गया है। बृहस्पति देव को ज्ञान, धर्म और विवाह-सुख का कारक कहा गया है। केले के पेड़ की पूजा करने से उनकी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
2. देवी लक्ष्मी का वास
शास्त्रों के अनुसार केले के पेड़ में देवी लक्ष्मी का निवास होता है। गुरुवार के दिन केले की पूजा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
3. दाम्पत्य सुख की प्राप्ति
जिनके वैवाहिक जीवन में बाधाएँ आती हैं, उनके लिए केले के पेड़ की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। गुरुवार को सुहागिन स्त्रियाँ पेड़ की परिक्रमा करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
4. संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
पुराणों में उल्लेख है कि केले के पेड़ की पूजा करने से संतान प्राप्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
5. धार्मिक नियम
गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा में जल अर्पण, हल्दी-चावल, पीले फूल और गुड़-चना चढ़ाया जाता है। व्रत करने वाले लोग पेड़ के पास दीपक जलाते हैं और परिक्रमा करते हैं।
6. व्रत पूर्ण होने का फल
गुरुवार का व्रत यदि केले के पेड़ की पूजा के बिना अधूरा माना जाता है। इसे करने से व्यक्ति को बृहस्पति देव की कृपा, विवाह में सफलता, धन-संपत्ति और पारिवारिक सुख प्राप्त होता है।
जी 🙏, यहाँ मैं आपको बृहस्पति व्रत में केले के पेड़ की पूजा करने के लाभ (Labh) बता रहा हूँ:
🍌 केले के पेड़ की पूजा से मिलने वाले लाभ
- बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है
- धन-धान्य में वृद्धि होती है
- घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है
- विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं
- सुखमय दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है
- संतान सुख की प्राप्ति होती है
- कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है
- परिवार में शांति और सौहार्द बढ़ता है
- लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है
- संतान की उन्नति और सफलता में सहायक
- व्यापार और नौकरी में तरक्की होती है
- मन में आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है
- घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती
- अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है
- बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, जिससे शिक्षा और करियर में सफलता मिलती है
🌳 बृहस्पति व्रत में केले के पेड़ की पूजा का महत्व
- बृहस्पति देव का प्रतीक – केले का वृक्ष बृहस्पति ग्रह का प्रतीक माना जाता है, इसलिए गुरुवार के दिन इसकी पूजा से बृहस्पति देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण का निवास – शास्त्रों में बताया गया है कि केले के पेड़ में लक्ष्मी और नारायण का वास होता है। इसकी पूजा से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
- धन-संपत्ति में वृद्धि – केले के पेड़ की पूजा करने से घर में कभी दरिद्रता नहीं आती और सदैव समृद्धि बनी रहती है।
- वैवाहिक सुख की प्राप्ति – अविवाहित कन्याएँ विवाह योग्य वर पाने के लिए और विवाहित स्त्रियाँ दाम्पत्य सुख की प्राप्ति हेतु केले के पेड़ की पूजा करती हैं।
- संतान प्राप्ति का वरदान – पुराणों के अनुसार केले के पेड़ की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- गुरुवार व्रत का मुख्य अंग – बृहस्पति व्रत में केले के पेड़ की पूजा को अनिवार्य माना गया है, इसके बिना व्रत अधूरा रहता है।
- ग्रह दोष से मुक्ति – जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति कमजोर या पीड़ित हो, तो गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करने से ग्रह दोष कम होता है।
- पारिवारिक कलह से मुक्ति – इस पूजा से परिवार में आपसी प्रेम और शांति बनी रहती है।
🍌 बृहस्पति व्रत व केले के पेड़ की पूजा विधि
- सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें
- व्रत करने वाले को पवित्र होकर पीले या हल्के पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
- व्रत का संकल्प लें
- भगवान विष्णु या बृहस्पति देव के सामने जल लेकर व्रत करने का संकल्प करें।
- केले के पेड़ के पास जाएँ
- स्वच्छ स्थान पर स्थित केले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। यदि पास में न हो, तो घर में गमले में लगाए गए केले के पौधे की भी पूजा कर सकते हैं।
- पेड़ पर जल और गंगाजल चढ़ाएँ
- एक लोटे में स्वच्छ जल लेकर केले के पेड़ की जड़ में अर्पित करें।
- गंगाजल मिलाना और भी शुभ माना जाता है।
- हल्दी-चावल और पीले फूल अर्पित करें
- पेड़ की जड़ में हल्दी मिश्रित चावल (अक्षत) चढ़ाएँ।
- पीले फूल और पीला कपड़ा अर्पित करें।
- गुड़ और चने का भोग लगाएँ
- बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए गुड़-चना का भोग अवश्य अर्पित करें।
- दीपक और धूप जलाएँ
- केले के पेड़ के पास दीपक जलाकर परिक्रमा करें।
- कम से कम 7 परिक्रमा करना शुभ माना गया है।
- मंत्र और स्तोत्र का जाप करें
- बृहस्पति देव का मंत्र जपें:
“ॐ बृं बृहस्पतये नमः” - विष्णु सहस्त्रनाम या गुरुवार व्रत कथा भी सुन सकते हैं।
- बृहस्पति देव का मंत्र जपें:
- केले के पेड़ को प्रणाम करें
- पेड़ के सामने हाथ जोड़कर परिवार की सुख-समृद्धि, वैवाहिक सुख और संतान सुख की प्रार्थना करें।
- सत्यनारायण भगवान या बृहस्पति देव की कथा सुनें
- व्रत कथा सुनना अथवा पढ़ना आवश्यक माना गया है।
- सांयकाल व्रत का समापन
- पूजा के बाद पीले वस्त्र, चना दाल, हल्दी, पीले फल (केला) आदि दान करें।
📖 बृहस्पति व्रत एवं केले के पेड़ की पूजा से शिक्षा
- प्रकृति की पूजा का महत्व
– यह व्रत हमें बताता है कि पेड़-पौधे भी देवस्वरूप हैं और उनकी पूजा करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। - सादगी और संयम का संदेश
– व्रत में पीले वस्त्र पहनना, साधारण भोजन करना और सात्विकता रखना हमें सादगी और संयम सिखाता है। - धैर्य और श्रद्धा का महत्व
– यह व्रत सिखाता है कि श्रद्धा और धैर्य से किया गया हर कार्य सफलता और सुख-समृद्धि लाता है। - ग्रहों का संतुलन और आस्था
– पूजा हमें यह शिक्षा देती है कि ग्रहों के प्रभाव को बदलने का मार्ग आस्था, पूजा और सत्कर्मों से संभव है। - दान और परोपकार की प्रेरणा
– गुरुवार के दिन पीली वस्तुएँ, अन्न और वस्त्र दान करना हमें परोपकार और दूसरों की सहायता की सीख देता है। - पारिवारिक एकता और प्रेम
– बृहस्पति व्रत करने से परिवार में सुख-शांति आती है, जिससे हमें पारिवारिक एकता का महत्व समझ में आता है। - ज्ञान और धर्म की ओर प्रेरणा
– बृहस्पति देव ज्ञान और धर्म के कारक हैं। उनकी पूजा हमें शिक्षा, ज्ञान और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देती है। - सकारात्मक सोच का महत्व
– यह व्रत हमें सिखाता है कि कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि श्रद्धा और विश्वास से उनका सामना करना चाहिए।
👉 इस प्रकार बृहस्पति व्रत और केले के पेड़ की पूजा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन में ज्ञान, संयम, परोपकार और सकारात्मकता अपनाने का मार्ग है।
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