
देवताओं द्वारा संतोषी माता की स्तुति
देवताओं द्वारा संतोषी माता की स्तुति
जब संतोषी माता की कृपा से साहूकार का छोटा पुत्र और उसकी पत्नी सुखी हुए, तो माता की महिमा चारों ओर फैलने लगी। संसार के हर कोने में लोग उनकी भक्ति और व्रत का स्मरण करने लगे।
इसी समय स्वर्गलोक में देवताओं ने भी माता की अद्भुत शक्ति और करुणा को अनुभव किया। देवगण आपस में विचार करने लगे –
“यह माता तो संतोष की मूर्ति हैं। यह अपने भक्तों को केवल श्रद्धा और विश्वास से ही सब कुछ प्रदान कर देती हैं। ऐसे देवी की हम सबको मिलकर स्तुति करनी चाहिए।”
फिर देवताओं ने एकत्र होकर माता की महिमा गाई –
- हे संतोषी माता! आप दीन-दुखियों की रक्षक हैं।
- आपकी कृपा से निर्धन राजा बन जाते हैं और दुखी जन सुखी हो जाते हैं।
- आपके व्रत और पूजन से जीवन की हर कठिनाई दूर होती है।
- आपके बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
- आप संतोष की मूर्ति हैं, आपके स्मरण मात्र से मन की शांति और घर में सुख-समृद्धि आती है।
देवताओं ने यह भी कहा कि –
“माता! आपने धरती पर अपने व्रत की स्थापना करके मानव जाति का कल्याण किया है। आप ही वह शक्ति हैं, जो गृहस्थ जीवन में संतोष का भाव लाकर कलह और दरिद्रता को समाप्त करती हैं।”
देवताओं की स्तुति सुनकर माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने आशीर्वाद दिया –
“जो भी मेरे व्रत को सच्चे मन से करेगा, वह दरिद्रता, दुख और बाधाओं से मुक्त होगा। उसके घर में धन, संतोष और सुख-शांति सदा बनी रहेगी।”
👉 इस प्रकार देवताओं की स्तुति से माता की महिमा और बढ़ गई और यह संदेश फैला कि शुक्रवार का व्रत और गुड़-चना का भोग जीवन को संपूर्ण बना देता है।
🌸 संतोषी माता व्रत के लाभ 🌸
- घर में संतोष और शांति – माता की कृपा से परिवार में मनमुटाव और कलह दूर होकर प्रेम बढ़ता है।
- दरिद्रता से मुक्ति – आर्थिक संकट और गरीबी दूर होती है।
- ऋण से छुटकारा – व्रत करने से कर्ज़ और कष्ट धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।
- धन-समृद्धि की प्राप्ति – घर में लक्ष्मी का वास होता है और आय के नए साधन खुलते हैं।
- संतान सुख – नि:संतान दंपत्ति को योग्य संतान का आशीर्वाद मिलता है।
- पति-पत्नी में प्रेम – दांपत्य जीवन में मधुरता और स्थिरता आती है।
- नौकरी और व्यवसाय में उन्नति – व्यापार में लाभ और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
- मन की शांति – मानसिक तनाव और चिंता समाप्त होकर मन प्रसन्न रहता है।
- सभी संकटों का नाश – जीवन की बाधाएँ और विघ्न दूर होते हैं।
- इच्छाओं की पूर्ति – भक्त की सच्ची मनोकामना पूर्ण होती है।
- संतोष का भाव – व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट और प्रसन्न रहने लगता है।
- स्वास्थ्य लाभ – बीमारियों से रक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- सुखी पारिवारिक जीवन – परिवार में प्रेम, सहयोग और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- भक्त पर सदैव कृपा – माता अपने भक्तों की हर समय रक्षा करती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति – भक्त के मन में श्रद्धा, विश्वास और धर्म की भावना जाग्रत होती है।
👉 यही कारण है कि संतोषी माता का शुक्रवार व्रत अत्यंत फलदायी और मंगलकारी माना जाता है।
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