
संतोषी माता का व्रत – कर्ज़ से मुक्ति के लिए विधि
संतोषी माता का व्रत – कर्ज़ से मुक्ति के लिए विधि
1. व्रत का दिन चुनना
- यह व्रत शुक्रवार को किया जाता है।
- कम से कम 16 शुक्रवार तक निरंतर करें।
- बीच में व्रत तोड़ना या छोड़ना नहीं चाहिए।
2. सुबह की तैयारी
- सुबह स्नान करके लाल या पीले कपड़े पहनें।
- घर में साफ़ स्थान पर संतोषी माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- सामने जल से भरा कलश, दीपक और धूप रखें।
3. पूजन सामग्री
- लाल/पीला कपड़ा
- गुड़ और चना (विशेष रूप से भिगोया हुआ काला चना)
- फूल (पीले या लाल)
- अगरबत्ती, दीपक
- नारियल
- संतोषी माता की कथा पुस्तक
4. पूजा विधि
- ध्यान व मंत्र —
“ॐ संतोषी मातायै नमः” का 11 या 21 बार जप करें। - माता को गुड़ और चना भोग लगाएँ।
- संतोषी माता की व्रत कथा श्रद्धा से पढ़ें या सुनें।
- कथा के अंत में आरती करें और सभी को भोग बाँटें।
5. व्रत के नियम
- व्रत के दिन खट्टा बिल्कुल न खाएँ और न ही किसी को खाने दें।
- क्रोध, झगड़ा और किसी को कष्ट देने से बचें।
- कर्ज़ मुक्ति की प्रार्थना माता से सच्चे मन से करें।
6. समापन (16वें शुक्रवार)
- अंतिम व्रत के दिन 8 बच्चों को गुड़-चना और भोजन कराएँ।
- माता को नारियल, चुनरी अर्पित करें और दीपक जलाएँ।
- अपने मनोकामना पूर्ति और कर्ज़ मुक्ति के लिए धन्यवाद करें।
💡 विशेष मान्यता — माना जाता है कि यदि व्रत पूरी श्रद्धा, संयम और बिना नियम तोड़े किया जाए, तो माता संतोषी कर्ज़ से मुक्ति, धन वृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
संतोषी माता व्रत कथा
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में एक साधारण परिवार रहता था। परिवार में सास, बहुएँ और एक बेटा था। बेटा अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था, लेकिन उसके भाई और भाभियाँ उसे पसंद नहीं करती थीं। एक दिन बेटा व्यापार के लिए परदेश चला गया और कई साल तक घर नहीं लौटा। उसकी पत्नी घर के कामों में लगी रहती, लेकिन भाभियाँ उसे ताने मारतीं और कभी अच्छा भोजन नहीं देतीं।
एक दिन वह पत्नी बहुत दुखी होकर पास की महिलाओं से मिली। उन्होंने कहा — “तुम संतोषी माता का शुक्रवार व्रत करो, माता तुम्हारी सभी इच्छाएँ पूरी करेंगी और तुम्हारे पति लौट आएँगे।”
स्त्री ने अगले शुक्रवार से व्रत शुरू किया। नियम के अनुसार उसने गुड़ और चने का भोग लगाया, खट्टा नहीं खाया और कथा सुनी। धीरे-धीरे 16 शुक्रवार पूरे हो गए।
माता संतोषी उसकी भक्ति से प्रसन्न हुईं और उसके पति का मन घर लौटने को हुआ। वह व्यापार में सफल होकर सोना-चाँदी, धन-धान्य और कपड़े लेकर घर आया। अपनी पत्नी को स्वस्थ और प्रसन्न देखकर उसने उसकी श्रद्धा की प्रशंसा की।
पति के लौटने के बाद, पत्नी ने माता का आभार मानने के लिए घर पर भव्य भोग और पूजा की। उसने 8 छोटे बच्चों को गुड़-चना खिलाया।
कथा का दूसरा भाग (नियम तोड़ने का परिणाम)
एक गाँव में एक महिला ने भी यह व्रत किया। अंतिम शुक्रवार को उसने 8 बच्चों को भोजन कराया, लेकिन उनमें से एक बच्चे ने कहा — “मुझे दही चाहिए।” महिला ने सोचा, “थोड़ा सा दे दूँगी तो क्या होगा?” और उसने उसे दही खिला दिया।
माता संतोषी नाराज़ हुईं क्योंकि व्रत में खट्टा खिलाना मना है। अगले ही दिन महिला के घर में झगड़े शुरू हो गए और कर्ज़ बढ़ गया। उसने समझा कि यह माता का संकेत है। फिर उसने नियमपूर्वक व्रत दोबारा किया और कर्ज़ से मुक्ति पाई।
📜 संदेश —
जो भी संतोषी माता का व्रत पूरी श्रद्धा, बिना नियम तोड़े और संयम से करता है, माता उसके घर सुख, समृद्धि और कर्ज़ से मुक्ति का वरदान देती हैं।
🌼 संतोषी माता का व्रत संतान सुख के लिए
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संतोषी माता का व्रत
संतोषी माता का व्रत