
पूजा में गणेश जी की प्रतिमा आगे रखने का कारण
पूजा में गणेश जी की प्रतिमा आगे रखने का मुख्य कारण धार्मिक मान्यता और शास्त्रीय नियमों से जुड़ा है। इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं—
1. विघ्नहर्ता का स्थान
गणेश जी को विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता कहा जाता है। मान्यता है कि उनकी पूजा सबसे पहले करने से पूजा या कार्य के बीच आने वाली किसी भी बाधा को वे दूर कर देते हैं।
2. प्रथम पूज्य देव
शास्त्रों में उल्लेख है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सभी देवताओं के पूजन से पहले गणेश जी का पूजन आवश्यक है, क्योंकि वे प्रथम पूज्य हैं।
3. मंगल आरंभ का प्रतीक
गणेश जी की मूर्ति आगे रखने का अर्थ है कि पूजा की शुरुआत शुभता और सफलता के आशीर्वाद के साथ हो।
4. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
गणेश जी का मुख सीधा सामने होने से पूजा स्थल में सकारात्मक ऊर्जा और एकाग्रता बनी रहती है।
5. धार्मिक परंपरा और कथा
एक कथा के अनुसार, देवी-देवताओं ने गणेश जी को वरदान दिया कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उन्हीं के नाम से होगी। इसी कारण हर पूजा में उनकी मूर्ति सबसे आगे रखी जाती है।
निष्कर्ष:
पूजा में गणेश जी की प्रतिमा आगे रखने का मतलब है—बाधाएँ दूर हों, कार्य सिद्ध हो, और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आए।
पूजा में गणेश जी की प्रतिमा आगे रखने के लाभ
- सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- कार्य की सिद्धि सुनिश्चित होती है।
- पूजा में शुभ ऊर्जा का संचार होता है।
- मन में एकाग्रता और शांति मिलती है।
- घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
- व्यापार और करियर में सफलता बढ़ती है।
- हर कार्य का शुभारंभ होता है।
- देवी-देवताओं की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।