
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। प्रदोष व्रत के माध्यम से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसे “शिव प्रदोष” भी कहा जाता है।
प्रदोष व्रत का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर करना और सुख-समृद्धि प्राप्त करना है। प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों को सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और चंदन अर्पित किया जाता है।
प्रदोष व्रत का पालन सूर्योदय से लेकर प्रदोष काल (संध्या समय) तक किया जाता है। व्रतधारी पूरे दिन उपवास रखते हैं और केवल फलाहार या दूध का सेवन करते हैं। संध्या के समय पूजा करने के बाद भोजन किया जाता है। व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता आती है। यह व्रत परिवार में सुख-शांति बनाए रखने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव के लिए भी विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
जो लोग श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत का पालन करते हैं, वे भगवान शिव की कृपा से अपनी सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, प्रदोष व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करना चाहिए।