
सावन में सिवलिंग पर जल चढ़ाने की सही विधि
श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस पूरे माह में शिव की पूजा-अर्चना, व्रत, अभिषेक और जल चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और व्यक्ति को सौभाग्य, स्वास्थ्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🛐 पूजा से पूर्व की तैयारी
1. स्नान और शुद्धता
- ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय उठें।
- स्नान करें और शरीर को स्वच्छ रखें।
- शुद्ध, धुले हुए सात्विक वस्त्र (जैसे सफेद, पीले या भगवा) पहनें।
- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान शिवलिंग पर स्पर्श नहीं करना चाहिए।
2. पूजा स्थान की तैयारी
- घर में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करें।
- शिवलिंग को साफ जल से स्नान कराएं और स्वच्छ कपड़े से पोंछें।
- पूजा स्थल पर एक चौकी बिछाकर उस पर शिवलिंग स्थापित करें (यदि घर में है)।
- पास में दीया, अगरबत्ती और घंटी रखें।
🪔 पूजा सामग्री (Samagri List)
सामग्री | महत्व |
---|---|
तांबे या पीतल का लोटा | जल अर्पण के लिए |
शुद्ध जल (अथवा गंगाजल) | अभिषेक हेतु |
दूध, दही, शहद, घी, शक्कर | पंचामृत बनाने के लिए |
बेलपत्र | शिव प्रिय है, त्रिदेव का प्रतीक |
भस्म, भांग, धतूरा | शिवजी को प्रिय |
सफेद चंदन | शीतलता हेतु |
अक्षत (साबुत चावल) | अक्षुण्णता का प्रतीक |
अगरबत्ती, दीपक | पूजन वातावरण शुद्ध करने के लिए |
मिठाई, फल | नैवेद्य हेतु |
रुद्राक्ष माला | जप हेतु |
🧘♂️ पूजन विधि (Step-by-Step)
🔸 Step 1: ध्यान और आवाहन
- आसन पर बैठें, नेत्र बंद करें और भगवान शिव का ध्यान करें।
- “ॐ श्री गणेशाय नमः” कहकर प्रथम गणेशजी का पूजन करें।
- फिर शिव का ध्यान करें:
“ॐ नमः शिवाय शान्ताय श्रीशिवाय नमो नमः।”
🔸 Step 2: जल अर्पण (Abhishek)
- तांबे के लोटे में शुद्ध जल या गंगाजल भरें।
- बेलपत्र हाथ में लेकर “ॐ नमः शिवाय” कहते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
- जल अर्पण करते समय मन में यह भावना रखें कि आप शिव को स्नान करा रहे हैं।
- 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र बोलते हुए जल की धारा (धारायुक्त) से अभिषेक करें।
🔸 Step 3: पंचामृत स्नान
- पहले जल से स्नान कराएं।
- फिर दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से पंचामृत बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- इसके बाद फिर से शुद्ध जल से स्नान कराएं ताकि शिवलिंग शुद्ध हो जाए।
🔸 Step 4: पूजन सामग्री अर्पण
- बेलपत्र (त्रिपत्रयुक्त), भांग, धतूरा अर्पित करें।
- चंदन का तिलक शिवलिंग पर करें।
- अक्षत, फूल, सफेद चंदन, भस्म अर्पित करें।
- अगरबत्ती और दीपक दिखाएं।
🔸 Step 5: मंत्र जाप
पवित्र भावना से निम्न मंत्रों का जाप करें:
- ॐ नमः शिवाय (108 बार या कम से कम 11 बार)
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्… (महामृत्युंजय मंत्र)
- रुद्राष्टकम्, शिव तांडव स्तोत्र, या शिव चालीसा भी पढ़ सकते हैं।
🔸 Step 6: नैवेद्य और आरती
- भगवान को फल, मिठाई आदि का भोग अर्पित करें।
- दीपक जलाकर “ॐ जय शिव ओंकारा” या कोई भी शिव आरती करें।
🔸 Step 7: प्रार्थना और क्षमा याचना
- अंत में भगवान शिव से अपनी मनोकामना कहें।
- जो भूल-चूक हो गई हो, उसकी क्षमा मांगें:
“अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽहं इति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर॥”
⚠️ महत्वपूर्ण सावधानियाँ
ध्यान रखने योग्य बातें | कारण |
---|---|
शंख से शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं | यह वर्जित है |
तुलसी पत्र न चढ़ाएं | शिव को अप्रिय |
बेलपत्र उल्टा (पीछे से) न चढ़ाएं | अपवित्र माना जाता है |
जल चढ़ाते समय चप्पल न पहनें | अपवित्रता मानी जाती है |
शिवलिंग पर नारियल पानी, हल्दी, सिंदूर आदि न चढ़ाएं | यह माता के लिए होते हैं |
🌺 अंत में: विशेष सुझाव
- यदि आप सोमवार का व्रत भी कर रहे हों, तो जल अर्पण के साथ उपवास रखें और शाम को कथा पढ़ें या सुनें।
- सावन में प्रति सोमवार शिव अभिषेक करें या रोज सुबह थोड़ा जल अर्पित करें।
- शिवपुराण, रुद्राष्टाध्यायी, शिव महिम्न स्तोत्र आदि का पाठ इस माह में विशेष फलदायी है।
सावन सोमवार व्रत कैसे करें 2025
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सावन में सिवलिंग पर जल चढ़ाने की सही विधि
सावन में सिवलिंग पर जल चढ़ाने की सही विधि