शनि व्रत के नियम और सावधानियाँ
शनि व्रत के नियम और सावधानियाँ (Shani Vrat Ke Niyam Aur Savdhaniyan) का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो और शनिदेव की कृपा बनी रहे। नीचे शनि व्रत से जुड़ी मुख्य बातें दी गई हैं:
🌑 शनि व्रत के नियम (Rules of Shani Vrat)
- व्रत का प्रारंभ
व्रत शनिवार से शुरू करें और लगातार 11, 21 या 51 शनिवार तक रखें। संकल्प लेकर शुरू करें। - स्नान और शुद्धता
व्रती को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। काले वस्त्र पहनें (यदि संभव हो) और मानसिक तथा शारीरिक शुद्धता बनाए रखें। - उपवास का तरीका
– व्रती दिनभर उपवास रखें।
– फलाहार या एक समय का भोजन लें (काला चना, काले तिल, गुड़ आदि का सेवन करें)।
– लहसुन-प्याज और मांस-मदिरा का सेवन पूरी तरह वर्जित है। - शनिदेव की पूजा
– शनि देव की मूर्ति या चित्र को तिल के तेल से स्नान कराएं।
– नीले फूल, काले तिल, काले कपड़े, लोहे की वस्तु और तेल अर्पित करें।
– सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
– “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें। - व्रत कथा का पाठ
शनिदेव की व्रत कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य है। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है। - दान और सेवा
– इस दिन गरीबों, भिखारियों और विशेषकर विकलांगों को दान करें।
– काले तिल, काला कपड़ा, कंबल, छाता या लोहे की वस्तु का दान श्रेष्ठ माना गया है।
⚠️ शनि व्रत की सावधानियाँ (Precautions during Shani Vrat)
- किसी का अपमान न करें
शनिदेव न्याय के देवता हैं, इसलिए इस दिन किसी भी व्यक्ति विशेषकर बुजुर्गों, सेवकों या कमजोर वर्ग का अपमान नहीं करें। - क्रोध और झूठ से बचें
इस दिन संयमित वाणी और व्यवहार रखें। झूठ बोलना, गाली देना या लड़ाई-झगड़ा करना वर्जित है। - शनिदेव की प्रत्यक्ष पूजा से बचें
कई परंपराओं में कहा गया है कि शनिदेव की आंखों में सीधे नहीं देखना चाहिए। उनकी पूजा थोड़ी दूर से करें। - शिवजी की पूजा भी करें
शनिदेव भगवान शिव के उपासक हैं, इसलिए शिवलिंग पर जल या काले तिल मिलाकर अभिषेक करें। - नींबू, दही, दूध जैसे तामसिक या वर्जित वस्तु का सेवन न करें।
