
सूर्य देव को जल अर्पित करने की सही विधि
सूर्य देव को जल अर्पित करने की सही विधि (Surya Dev ko Jal Dene ki Vidhi) हिन्दू शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताई गई है। इसे सूर्य अर्घ्य कहा जाता है और यह कार्य सूर्योदय के समय करना श्रेष्ठ होता है।
🌞 सूर्य को जल अर्पित करने की विधि:
- समय:
प्रातः सूर्योदय के 10 से 15 मिनट के अंदर अर्घ्य देना उत्तम माना जाता है। - दिशा:
पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों, जहां से सूर्य उदय हो रहा हो। - जल पात्र:
तांबे के लोटे या कलश का प्रयोग करें। स्टील या प्लास्टिक न लें। - जल में क्या मिलाएं:
- लाल फूल (गुलाब, गुड़हल)
- अक्षत (साफ और साबुत चावल)
- रोली या कुमकुम
- थोड़ी सी मिश्री या गुड़ (ऐच्छिक)
- अर्घ्य देते समय मुद्रा:
- दोनों हाथों से लोटे को ऊपर उठाएं।
- हाथों की उंगलियों से जल की धार सूर्य की ओर जाने दें, जिससे वह छनते हुए सूर्य की किरणों पर पड़े।
- जल धरती पर न गिराते हुए एक कांसे या पीतल की थाली या गमले में एकत्रित करें यदि संभव हो।
- मंत्र उच्चारण:
अर्घ्य देते समय यह मंत्र बोलें –
👉 ॐ घृणि सूर्याय नमः
या
👉 ॐ सूर्याय नमः - जल देने के बाद:
- 3 बार सूर्य को प्रणाम करें।
- आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य गायत्री, या सूर्य चालीसा का पाठ करें।
❗ ध्यान रखने योग्य बातें:
- जल अर्पित करते समय मन में श्रद्धा और एकाग्रता रखें।
- नंगे पैर रहें, और सिर पर साफ कपड़ा या गमछा रखें।
- सूर्य को जल देते समय कोई अपशब्द या शोर न करें।
- कभी भी दोपहर या सूर्यास्त के समय अर्घ्य न दें।
सूर्य देव को जल अर्पित करने की सही विधि